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शिक्षा के मंदिर में गुरु पूर्णिमा के दिन पसरा सन्नाटा,जानिए क्या है पूरा मामला…

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राजिम – छुरा विकासखण्ड के आदिवासी बाहुल्य वनांचल ग्राम चरौदा में गुरु पूर्णिमा के दिन प्राचीन परंपरा अनुसार विद्या के मंदिर में साल भर शिक्षा ग्रहण कराने वालों गुरु आज सम्मान पाने से उपेक्षित रहे. दरअसल, ग्राम में 14 साल से संचालित हाई स्कूल के उन्नयन के साथ स्कूल भवन की मांग पर तमाम कार्यालयों के चक्कर काटने और तमाम अधिकारियों को आवेदन देने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर छात्रों ने स्कूल का बहिष्कार किया था. यही नहीं पालकों ने जरूरत पड़ने पर बच्चों को लेकर सड़क पर उतरकर आर-पार की लड़ाई की चेतावनी दी है.

ग्रामीणों के अनुसार, ग्राम चरौदा में साल 2008 से संचालित हाई स्कूल का अपना स्वयं का भवन नहीं होने से अतिरिक्त कमरे में संचालित है. भवन विहीन हाई स्कूल में आने वाली समस्याओं से ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन के जिम्मेदारों को अवगत कराएं जाने के बावजूद भी आज तक किसी ने सुध नहीं ली. वहीं ग्राम चरौदा में आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से हाई स्कूल पड़ने आने वालों बच्चों की दिन व दिन बढ़ती संख्या व 10वीं पास होने के बाद हायर सेकेंडरी की पढ़ाई करने ग्राम से 12 से 15 किलोमीटर की जंगली रास्ते तय कर अन्यत्र पढ़ाई करने जाने से कई ग्रामीण बच्चे अपने आगे की पढ़ाई छोड़ चुके हैं.

आक्रोशित ग्रामीणों ने मंगवार को प्रशासन के जिम्मेदारों को लिखित में ग्राम चरौदा में हाई स्कूल भवन निर्माण व हायर सेकेंडरी उन्नयन को लेकर ज्ञापन देते हुए बुधवार से कक्षा पहली से लेकर 10वीं तक के बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की चेतावनी देने के बाद आज स्कूल का बहिष्कार किया था. प्राथमिक, मिडिल व हाई स्कूल में बच्चों की उपस्थित नहीं होने से आज दिन भर स्कूल में सन्नाटा पसरा रहा. जानकारी होने पर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाइश देते रहे कि शासन स्तर पर मांग को भेजकर यथास्थिति से अवगत कराया गया है, लेकिन ग्रामीण ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.

भाजपा नेता व ग्राम पंचायत चरौदा के पूर्व उपसरपंच इमरान अली ने कहा कि एक तरफ सरकार शिक्षा का अधिकार कानून की बात करती है, तो वहीं दूसरी तरफ स्कूली बच्चों को सुविधा प्रदान कराने में असहाय साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 से ग्राम चरौदा में हाई स्कूल संचालित है. पहले जनभागीदारी समिति के द्वारा हाई स्कूल का संचालन किया जा रहा था, उसके बाद 2008 में शासन द्वारा अतिरिक्त कक्ष में ही हाई स्कूल का संचालन किया जा रहा है. आज हाई स्कूल को संचालित 14 वर्ष होने को है, लेकिन विडंबना है कि हाई स्कूल का खुद का भवन नहीं है. उन्होंने आगे बताया कि ग्राम चरौदा में हाई स्कूल भवन निर्माण व हायर सेकेंडरी स्कूल खोलने शासन-प्रशासन को पच्चीसों बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन आज पर्यंत भवन का निर्माण नहीं कराया जाना समझ से परे है.

वहीं पालकों ने बताया कि ग्राम चरौदा में हायर सेकेंडरी स्कूल नहीं होने के कारण कईं छात्राओं को दसवीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ती है. या फिर हायर सेकेंडरी की पढ़ाई करने 15 किलोमीटर का सफर तय कर कोसमी, दुल्ला, छुरा या फिर गरियाबंद जिले से लगे महासमुंद जिले के स्कूलों का सहारा लेते हैं. पालकों ने बताया कि हायर सेकेंडरी स्कूल के दूर व जंगली रास्ते से होने की वजह से पालकों को छात्रों की चिंता सताती रहती है. कुछ वर्ष पहले बिजापाल की एक छात्रा को स्कूल जाते समय एक तेंदुए ने हमला कर दिया था, जिससे छात्रा की मौत हो गई थी. इसके बाद से पालकों में अपने बच्चो को अकेले जंगल के रास्ते से स्कूल भेजने में डर बना हुआ है.

आक्रोशित पालकों ने बैठक में निर्णय लिया है कि 12 जुलाई से कोई भी बच्चा स्कूल नहीं जाएगा. इसके साथ ही ग्रामीणों ने छुरा पहुंचकर एसडीएम, सीईओ, बीईओ और छुरा थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा. इस अवसर पर चरोदा सरपंच ग्राम पंचायत लच्छान नेताम, ग्राम पंचायत पटपरपाली सरपंच सुंदरलाल, जनपद सदस्य शांति नागेश, इमरान अली, डिगेश्वर नागेश, रामचंद्र नायक, रामचंद्र नेताम, टिकुम, कौशल सिंह, अकबर, अशोकराम नैनकुमार, मोहरसिंग, बिसराम, कोमल, दाऊ लाल, नारद, पंचराम, माधर् सिंह, हीरालाल, खमसिंह, राम सिंग, तेजराम, तराचंद, जीवनला सहित बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत मोंगरा, ग्राम पंचायत पटपरपाली, ग्राम पंचायत चरौदा के पालक मौजूद थे.