कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध की नीति त्याग कर ‘धम्म’ की नीति पर चलना तय किया था। यह युद्ध 261 ईसा पूर्व में महान मौर्य साम्राज्य और कलिंग राज्य के बीच लड़ा गया था
अशोक ने अपने धम्म के प्रचार के लिए अपने पूरे साम्राज्य में स्तंभों और शिलाओं पर संदेशों लिखवाए थे
नई दिल्ली – सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का निर्माण कार्य जारी है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्माणधीन संसद भवन की छत पर स्थापित अशोक स्तंभ की कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। यह प्रतिमा 6.5 मीटर ऊंची है, जिसका वजन 9500 किलो बताया जा रहा है। अशोक स्तंभ भारत का राजकीय प्रतीक है। भारत सरकार ने यह चिन्ह 26 जनवरी, 1950 को अपनाया था।
मूल स्तंभ को उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। अशोक के सिंह स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। यही वजह है कि सामने से केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता। मूल स्तंभ चुनार के बलुआ पत्थर को काटकर बना है। यह स्तंभ एकाश्म अर्थात् एक ही पत्थर से तराशकर बनाया गया है। सिंहों की मूर्ति जिस प्लेटफॉर्म पर स्थापित है, उसपर एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। प्लेटफॉर्म के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- ‘सत्य की ही विजय होती है’
अशोक ने अपने धम्म के प्रचार के लिए अपने पूरे साम्राज्य में स्तंभों और शिलाओं पर संदेशों लिखवाए थे। जो उन संदशों को पढ़ने में सक्षम नहीं थे, उन्हें अभिलेख पढ़कर सुनाने का आदेश दिया गया था। कुल मिलाकर अशोक ने धम्म के माध्यम से शांति की नीति अपनाई। कई इतिहासकारों को मानना है कि यही नीति मौर्य साम्राज्य के पतन का मुख्य कारण बनी। हालांकि सभी इतिहासकार इस तर्क से सहमत नहीं हैं। कुछ का मनना है कि वित्तीय संकट और सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा में कोताही मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बनी।जनसत्ता।