खरोरा क्षेत्र में पढ़ने की उम्र में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फिलहाल ऐसे बच्चों को इस बुरी प्रवृत्ति से हटाने वाला कोई नहीं है। माठ निवासी 14 साल का देवा (नकली नाम) स्कूल जाने की उम्र में भीख मांगता है। उसने बताया कि समूह में 35 बच्चे हैं जिनकी उम्र 7 से 16 वर्ष तक है व इनका एक कप्तान भी है जिसकी उम्र 16 वर्ष है।
भीख मांगने के बाद जितने भी पैसे आते हैं उसमें से हर एक को उसे 100 रुपए रोजाना देना पड़ता है। भास्कर पड़ताल में यह तथ्य सामने आया कि समूह के पूरे सदस्य माठ से भीख मांगने के लिए रायपुर जाते हैं। इसके लिए एक ऑटो व एक वैन किराए पर ली जाती है जिसका प्रतिदिन का किराया 2500 रुपए व मासिक किराया 75 हजार रुपए होता है। सितम की बात है कि ये बच्चे बस स्टैंड पर खड़ी सवारियों व राहगीरों से भीख मांगकर उनको परेशान करते हैं।
रायपुर में एक दिन में हजार रुपए मिल जाते हैं
रायपुर में भीख मांगने के सेंटर
समूह द्वारा रायपुर में अम्बुजा माल, मेकाहारा, घड़ी चौक, कचहरी, बस स्टैंड जैसी जगहों को टारगेट बनाया जाता है। इन्हीं स्थानों पर सबसे ज्यादा भीख मांगी जाती है।
लॉकडाउन में नहीं किया काम
देवा ने बताया कि लॉकडाउन में पुलिस चारों तरफ होती थी व लोग घर से भी नहीं निकलते थे इसलिए पूरे लॉकडाउन के दौरान इन समूह के द्वारा भीख नहीं मांगी गई।
भीख से एक दिन में 1000 रुपए तक की आवक
भीख मांगकर रायपुर जाने पर एक बच्चे की आवक 1000 रुपए तक होती है। वहीं खरोरा व आसपास के क्षेत्रों में भीख मांगकर प्रतिदिन लगभग 500 रुपए तक ही मिल पाते हैं।
आरोपियों पर होगी कार्रवाई: नायक
महिला एवं बाल विकास विभाग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि जो लाेग बच्चों से भीख मंगवाते हैं, उन पर पुलिस से कार्रवाई करवाएंगे। बच्चों की पढ़ाई खाने की व्यवस्था भी की जाएगी।