काउंसिल, वन विभाग एवं सारस मित्रों द्वारा की गई गणना
सुनील खोब्रागढे (विशेष प्रतिनिधि )
बालाघाट- पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण तथा संवर्धन के किए निरंतर कार्यरत सेवा संस्था गोंदिया के अध्यक्ष सावन बहेकार तथा सारस संरक्षण के लिए कार्यरत बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन कौउसिंल एवं वन विभाग द्वारा सारस गणना का कार्य पारंपारिक तथा शास्त्रीय पध्दती से प्रत्येक वर्ष किया जाता है। इसी तारतम्य मे इस वर्ष भी 6 दिनों तक चली सारस गणना में बालाघाट तथा गोंदिया जिले में कुल 70 एवं 80 स्थानो पर सेवा संस्था, बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन कौउसिंल के सदस्य स्थानिय किसान, सारस मित्र तथा वन विभाग गोंदिया और बालाघाट के अधिकारी तथा कर्मचारियों द्वारा सारस गणना को पूर्ण किया गया।
कलेक्टर श्री दीपक आर्य द्वारा बताया गया कि बालाघाट जिले में 47, गोंदिया जिले में 39 एवं भंडारा में 02 सारस की गणना की गई जो हर्ष का विषय है । विशेषकर बालाघाट जिले में सबसे अधिक सारस पाया जाना एंव बालाघाट के किसानो से अपील की गई कि सारस के घोंसलो को किसी भी प्रकार से नुकसान ना पहुंचाया जाये तो प्रत्येक वर्ष 10-12 जोड़े सारस की संख्या में वृद्धि देखी जा सकती है प्रत्येक किसान एवं ग्रामीणो को जागरुक रहकर इनके संरक्षण हेतु सजगता से कार्य करना चाहिए । इससे बालाघाट जिला सारस के लिए पहचाना जायेगा।
बालाघाट जिले के लिए 18 तथा गोंदिया भंडारा जिले में 23 टीमें बनाकर सारस के विश्रांती स्थल पर सुबह 5 बजे पहुंचकर 10बजे तक विविध स्थानों पर प्रत्यक्ष जाकर गणना की गयी । प्रत्येक टिम में 2 से 4 सेवा संस्था के सदस्य तथा वनविभाग कर्मचारियों का समावेश किया गया था । सारस गणना के सदस्यो द्वारा वर्षभर सारस के विश्राम स्थल, प्रजनन अधिवास तथा भोजन के लिए प्रयुक्त भ्रमण पथ की मानीटरींग की जाती है साथ ही सारस के रहवास एवं उनके आसपास रहने वाले किसानों को सारस का महत्व बताकर उसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया जाता है। रहवास के आस पास सेवा संस्था द्वारा स्कुल तथा महाविद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों को पर्यावरण एवं सारस संवर्धन एवं संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों के माध्यम से सारस संरक्षण अभियान से जोड़ा जाता है। बाघ एवं वैनगंगा नदी महाराष्ट्र तथा मध्यप्रदेश के गोंदिया तथा बालाघाट जिलों को विभाजित करती है। भौगोलिक दृष्टिकोण से नदी के दोनों ओर के प्रदेश की जैवविविधता मे काफी समानता पायी जाती है । अतः कुछ सारस के जोडें अधिवास तथा भोजन के लिए दोनों ओर के प्रदेशों में समान रूप से विचरण करते पाये जाते है सीमाओं का बंधन उनके लिए मायने नही रखता जो मनुष्य के लिए एक अच्छा सबक है।
गोंदिया जिले में दिनांक 13 से 19 जून 2021 को कुल 22 टीमो में कुल 70 से 80 स्थानों पर सुबह 5 बजे जाकर जिसमें हर स्थान पर वनविभाग के कर्मचारियों के साथ गणना की गयी । आकडों की विश्वसनियता एवं सारस की उपस्थिती पर संदेह की गुंजाईश ना रहे इसके लिए दिनांक 13 से 19 तक प्रतिदिन सुबह एवं शाम सभी सारस अधिवास पर जाकर सारस की स्थिती का जायजा लिया गया । जिसमे खेत, तालाब, नदियों पर जाकर स्थानीय लोगों से भी बातचित की गयी। दिनांक 12 जून 2021 को बालाघाट जिले में 18 टीमो द्वारा 60 से 70 स्थानों पर प्रकल्प प्रभारी श्री अविजित परिहार के मार्गदर्शन में गणना कार्य किया गया।
सारस गणना के संपूर्ण अभियान में उपवनसंरक्षक कुलराज सिंग वनविभाग गोंदिया तथा दक्षिण वनमंडल बालाघाट के मंडल अधिकारी जी के वरकडे का अमुल्य मार्गदर्शन एवं सहयोग मिला। साथ ही वनविभाग के वनपरिक्षेत्र अधिकारी हट्टा गोविंद मरावी, वनपरिक्षेत्र अधिकारी गोंदिया सुशिल नादवट वनपरिक्षेत्र अधिकारी तिरोडा, शेषराव आकरे गोंदिया व समस्त वनकर्मचारियों का सहयोग प्राप्त हुआ है। सेवा संस्था एवं बालाघाट टूरिज्म प्रमोशन कौउसिंल के सदस्यों ने गणना कार्य में अथक प्रयास किये।