मध्यप्रदेश शासन के राज्यमंत्री आयुष (स्वतंत्र प्रभार) एवं जल संसाधन विभाग श्री रामकिशोर “नानो” कावरे ने शहीदों के सरताज”, शांति के पुंज, पाँचवें पातशाह, धन-धन श्री गुरु अर्जन देव जी के पावन प्रकाश परब की सभी को लख-लख बधाई दी है। गुरु साहिब ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की संपादना की और सुखमणि साहिब जी की सुखमयी बाणी की दात बक्शी । गुरु नानक से लेकर गुरु रामदास तक के चार गुरुओं की वाणी के साथ-साथ उस समय के अन्य संत महात्माओं की वाणी को भी इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहब’ में स्थान दिया।
मंत्री श्री कावरे ने अपने बंधाई संदेश में कहा है कि गुरु अर्जन देव के स्वयं के लगभग दो हज़ार शब्द गुरु ग्रंथ साहब में संकलित हैं। गुरु अर्जन जी की रचना ‘सुखमनी पाठ’ का सिक्ख नित्य पारायण करते हैं। गुरु अर्जन साहिब जी ने अपने पिता द्वारा अमृतसर नगर के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया था। इन्होंने ‘अमृत सरोवर’ का निर्माण कराकर उसमें ‘हरमंदिर साहब’ का निर्माण कराया, जिसकी नींव सूफ़ी संत मियाँ मीर के हाथों से रखवाई गई थी। तरनतारन नगर भी गुरु अर्जन के समय में बसा हुआ एक नगर है।
गुरु अर्जन जी ने सार्वजनिक सुविधा के लिए जो काम किए उनसे अकबर बहुत प्रभावित था। गुरू अर्जन जी के बढ़ते हुए प्रभाव को जहाँगीर सहन नहीं कर सका, और उसने अपने पुत्र खुसरों की सहायता से अर्जुन देव को क़ैद कर लिया। जहाँगीर द्वारा क़ैद में गुरु अर्जन देव को तरह-तरह की यातनाएँ दे कर शहीद कर दिया गया । गुरु जी ने अपनी कुर्बानी दे दी, मगर गुरु ग्रंथ साहिब मे लिखी किसी भी बात को नहीँ काटा । गुरु जी ने आपने जीवन काल में बहुत से कारज किये, गुरु जी को सिखों के पहले शहीद भी कहा जाता है, और गुरु जी को बाणी का जहाज़ भी कहा जाता है, क्योंकि गुरु ग्रंथ साहिब में सबसे अधीक बाणी गुरु जी की है । आज उसी शहीदों के सरताज़ साहिब श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज का प्रकाश पर्व है, इस पावन दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई हो।
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