कोरोना वायरस (Corona Virus) को महामारी घोषित करने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया को इस भयावह खतरे से बचने के लिए कहा कि सभी देश अपने यहां संदिग्ध केसों के मद्देनजर टेस्ट पर जोर दें. इस कड़ी में डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल ने कहा कि हम दुनिया के सभी देशों को बस एक ही संदेश देना चाहते हैं और वह है टेस्ट, टेस्ट, टेस्ट. सभी देश अपने हर संदिग्ध केस का टेस्ट करें. केवल ऐसा करके ही इस महामारी की रोकथाम की जा सकती है.
इस बीच यूएस के रिसर्चरों ने सोमवार को पहली बार एक शख्स को कोरोना वायरस की वैक्सीन दी है. ये वैक्सीन प्रयोगात्मक तौर पर दी गई है. अमेरिका में सोमवार से कोरोना वायरस की महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन का लोगों पर परीक्षण शुरू किया गया है.
विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन के परीक्षण में कई महीने लगेंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 45 वालंटियरों पर सिएटल के कैसर परमानेंट रिसर्च सुविधा में परीक्षण किया जाएगा. वैक्सीन से कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खतरा नहीं है. इसमें वायरस से कॉपी किए गए हानिरहित जेनेटिक कोड होते हैं.
दुनियाभर के वैज्ञानिक भी तेजी से शोधकार्य में जुटे हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने इस पहले मानवीय परीक्षण के लिए धन दिया है. लेकिन इस कार्य में लगी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्न थेरेप्यूटिक्स का कहना है कि इस वैक्सीन को परीक्षण प्रक्रिया के जरिए बनाया गया है.
ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ जॉन ट्रेगोनिंग ने कहा, “यह वैक्सीन में पहले से मौजूद तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.”
उन्होंने कहा, “यह एक बहुत ही उच्च मानक के तहत बनाया गया है. इसमें उन चीजों का इस्तेमाल किया गया है, जिसे हम लोगों के उपयोग के लिए सुरक्षित समझते हैं और परीक्षण में भाग ले रहे लोगों पर बहुत ही नजदीकी से नजर रखी जाएगी.”