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सीबीआई ने राणा कपूर और पत्नी बिंदु के खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला किया दर्ज

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर और उनकी पत्नी बिंदु के खिलाफ एक रीयल्टी कंपनी से दिल्ली के पॉश इलाके में एक बंगले की खरीद के जरिए कथित रूप से 307 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का नया मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि कपूर और उनकी पत्नी ने रीयल्टी कंपनी से बाजार मूल्य से आधे दाम पर बंगला हासिल किया. बदले में रीयल्टी कंपनी को 1,900 करोड़ रुपये का कर्ज उपलब्ध कराया गया.

एजेंसी को संदेह है कि अमृता शेरगिल मार्ग पर राणा कपूर को 1.2 एकड़ का बंगला सस्ते मूल्य पर ब्लिस एबोड प्राइवेट लि. के जरिये रिश्वत के रूप में दिया गया. गौतम थापर प्रवर्तित अवांता रीयल्टी एंड ग्रुप कंपनी ने कपूर को यह रिश्वत यस बैंक से लिए गए 1,900 करोड़ रुपये के ऋण को वसूल नहीं करने के एवज में दी गई. कपूर की पत्नी ब्लिस एबोड प्राइवेट लि. के दो निदेशकों में से एक हैं.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने थापर, राणा कपूर और उनकी पत्नी बिंदु के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोधक कानून के प्रावधानों के तहत कथित रूप से आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का नया मामला दर्ज किया है. जांच एजेंसी ने दिल्ली और मुंबई में कई स्थानों पर छापेमारी की है. इनमें कपूर और उनकी पत्नी बिंदु के मुंबई स्थित आवास और कार्यालय, ब्लिस एबोड के कार्यालय, दिल्ली-एनसीआर में अवांता रीयल्टी और इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लि. के कार्यालय शामिल हैं.

378 करोड़ रुपये में खरीदा गया था बंगला
आरोप है कि कपूर ने यह बंगला 378 करोड़ रुपये में खरीदा था. इसके लिए ब्लिस एबोड के जरिए भुगतान किया गया था. अधिकारियों ने बताया कि इसके तत्काल बाद इस संपत्ति को इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लि. के पास 685 करोड़ रुपये के ऋण के लिए गिरवी रख दिया गया, जो इसके बाजार मूल्य से 307 करोड़ रुपये कम था. इस सौदे से पता चलता है कि ब्लिस एबोड ने अवांता ग्रुप को बाजार मूल्य से काफी कम भुगतान किया. उसे यह रियायत कथित रूप से मौजूदा ऋण के भुगतान में ढील देने और नया तथा अतिरिक्त ऋण देने के लिए दी गई.
एजेंसी का आरोप है कि यह संपत्ति आईसीआईसीआई बैंक के पास गिरवी थी, जिसे अवांता समूह को दिए गए 400 करोड़ रुपये के ऋण के बदले यस बैंक के पक्ष में जारी कर दिया गया. बैंक ने यह ऋण 2016 में पट्टे के किराये के रूप में मंजूर किया. इसके लिए एक हास्यापाद किराया करार दिखाया गया. यह करार अवांता रीयल्टी और उसके समूह की एक अन्य कंपनी बिल्ट ग्राफिक्स पेपर प्राइवेट लि. के बीच किया गया. अधिकारियों ने बताया कि अवांता रीयल्टी और बिल्ट के बीच यह करार इस दृष्टि से हास्यापद था कि किराया मूल्य को एक करोड़ रुपये सालाना से बिना किसी आधार के बढ़ाकर 65 करोड़ रुपये कर दिया गया. उन्होंने कहा, हालांकि बिल्ट से अवांता रीयल्टी को कोई किराया नहीं मिला.