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कंगाली की कगार पर खड़े पाक को बड़ा झटका, भारत से हारा अरबों की कानूनी लड़ाई

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पाकिस्तान को भारत के हाथों एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। हैदराबाद के निजाम की संपत्ति से जुड़े 70 साल पुराने केस में ब्रिटेन की अदालत ने बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है। यह मामला हैदराबाद के निजाम के करीब 35 मिलियन पाउंड (करीब 306 करोड़) की राशि से जुड़ा हुआ है। यह रकम निजाम ने बंटवारे के दौरान लंदन के नेशनल वेस्टमिनस्टर बैंक में जमा कराई गई थी। भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश इस राशि पर अपना—अपना हक जताते रहे हैं। अदालत ने 70 साल पुराने दस्तावेजों का गहन अध्ययन करने के बाद यह फैसला सुनाया है। ब्रिटिश कोर्ट ने पाकिस्तान के सभी तर्कों को खारिज कर दिया। अदालत ने पाया कि हैदराबाद के सातवें निजाम इस रकम के सही उत्तराधिकारी हैं। इसलिए उनके पक्ष में खड़े भारत और निजाम के दो पोते ही इसके सही हकदार हैं।

पाक के तर्क नहीं आए काम

पाक ने तर्क दिए थे कि यह विवाद पूरे या आंशिक रूप से गैर न्यायसंगत था। उसने अवैधता के सिद्धांत की बात करते हुए वसूली रुकने की भी बात कही। इसके अलावा उसने अन्य पक्षों के दावों को तय समय के भीतर नहीं करने की भी बात कही। मगर अदालत में उसकी एक न चली। कोर्ट ने कहा कि समयसीमा के तर्क को प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया।

पाक उच्चायुक्त को भेजी थी यह रकम

हैदराबाद के तत्कालीन निजाम ने 1948 में ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहीमउतुल्ला को यह रकम भेजी थी। उस वक्त नवाब मीर उस्मान अली खान सिद्दिकी की रियासत हुआ करती थी। भारत का समर्थन करने वाले निजाम के वंशज इस रकम पर अपना हक जताते हैं, जबकि पाकिस्तान भी इस पर दावा करता है।

क्या है पूरी कहानी

दरअसल रकम ट्रांसफर की पूरी कहानी भारत के विलय होने के दौर की है। निजाम हैदराबाद का पक्ष रख रहे वकील पॉल हेविट ने कहा कि हैदराबाद के निजाम के वित्त मंत्री ने पैसों को सुरक्षित रखने के इरादे से करीब 10 लाख पाउंड पाक उच्चायुक्त के लंदन वाले बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए थे। अब यह रकम कई गुना बढ़ चुकी है। यही पैसा बाद में सातवें निजाम के उत्तराधिकारियों और पाकिस्तान के बीच कानूनी जंग की वजह बन गया।