केंद्र सरकार राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को पाने के लिए इस वित्त वर्ष के अंत तक रिजर्व बैंक से करीब 30 हजार करोड़ रुपए के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। राजस्व संग्रह में कमी तथा कॉरपोरेट करों में कटौती के कारण सरकार के वित्त संसाधनों पर दबाव है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘यदि आवश्यकता हुई तो केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक से 25-30 हजार करोड़ रुपए के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है।’ उन्होंने कहा कि इस बारे में जनवरी की शुरुआत में आकलन किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक के लाभांश के अतिरिक्त विनिवेश को बढ़ाने तथा राष्ट्रीय लघु बचत कोष का अधिक इस्तेमाल करने समेत कुछ अन्य साधन भी हैं। सरकार पहले भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिये रिजर्व बैंक से अंतरिम लाभांश ले चुकी है। पिछले साल सरकार ने रिजर्व बैंक से 28 हजार करोड़ रुपए का अंतरिम लाभांश लिया था। इससे पहले 2017-18 में इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपए लिए गए थे।
आरबीआई से मिलेंगे 1.76 लाख करोड़ रुपए
गौरतलब है कि अगस्त में खबर आयी थी कि रिजर्व बैंक अपने सरप्लस रिजर्व में से 1.76 लाख करोड़ रुपए केंद्र सरकार को देगा। आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। इस फैसले से सरकार को सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई बोर्ड ने 1,76,051 करोड़ रुपए केंद्र सरकार को देने की मंजूरी दी थी। यह सिफारिश पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति ने की थी। लेकिन, आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल इसके खिलाफ थे। इसी वजह से उन्होंने और डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इस्तीफा दे दिया था।
डिविडेंड के 95 हजार करोड़ मिलना तय है
आरबीआई 2013-14 के बाद से अपनी डिस्पोजेबल इनकम (खर्च करने लायक फंड) का 99 प्रतिशत सरकार को देता आ रहा है। जहां तक डिविडेंड का सवाल है तो 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपए में से 28,000 करोड़ रुपए मार्च में ही अंतरिम डिविडेंड के तौर पर सरकार को दिए जा चुके हैं। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार को 95,414 करोड़ रुपए डिविडेंड मिलना तय है। यह 1.76 लाख करोड़ के सरप्लस फंड के अलावा होगा।