अमेरिका (US) ने पाकिस्तान (Pakistan) को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह टेरर फंडिंग (Terror funding) पर रोक लगाए. अगर ऐसा नहीं किया फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) उसे ‘ब्लैकलिस्ट’ कर सकता है और आगे वित्तीय मदद में भी कटौती कर सकता है. अमेरिका ने साफ कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब देश में आतंक के ठिकानों को खत्म करने पर निर्भर करेगी.
अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकी हाफिज सईद के लिए पाकिस्तान को फंड देने के कदम का भी स्वागत किया है. अमेरिका ने कहा कि ये दिखाता है कि एफएटीएफ की प्रति जवाबदेही से साथ पाकिस्तान आतंकरोधी अभियान की दिशा में काम कर रहा है. दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने इसे एक ‘सकारात्मक कदम’ बताया है.
इससे पहले, पाकिस्तान के अनुरोध पर मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और प्रतिबंधित जैश ए मोहम्मद प्रमुख हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आतंक रोधी समिति ने बुनियादी जरूरतों पर खर्चे के लिए अपने बैंक खाते से रकम निकालने की अनुमति दी. सईद के परिवार को अब डेढ़ लाख रुपये कर दी है.
हाफिज को दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 प्रस्ताव के तहत आतंकवादी घोषित किया जा चुका है. संयुक्त राष्ट्र प्रावधानों के मुताबिक सभी राष्ट्रों को इस सूची में शामिल व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति या आर्थिक संसाधन और धनराशि पर रोक लगानी होती है. प्रस्ताव में राष्ट्रों को प्रतिबंधित व्यक्ति के मूलभूत खर्चे के लिए अनुमति देने का भी प्रावधान है, बशर्ते कि किसी को इस पर आपत्ति नहीं हो.
सईद यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी, लाहौर में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था और 1999 में रिटायर हो गया था. पाकिस्तान सरकार से उसे 45700 रुपये की पेंशन मिलती है. पाकिस्तान के हबीब बैंक में खाता है लेकिन संयूक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जब से उसे आतंकवादी घोषित किया गया, उसकी संपत्ति सीज कर ली गई. 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद यूएन ने उस पर प्रतिबंध लगा दिए. उस पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित किया था. फिलहाल, सईद जेल में है और टेरर फंडिंग के मामले में ट्रायल का सामना कर रहा है.
वेल्स ने कहा, “घोषित आतंकियों के परिवार के खर्चों आदि के लिए यूएन फंड देता है. ऐसे में पाकिस्तान की मांग दिखाती है कि वो नियमों का पालन कर रहा है जो एफएटीएफ के लिए जरूरी शर्त है.”
दरअसल, अगले माह 13-14 अक्टूबर को सभी सदस्यों की मौजूदगी में होने वाली एफएटीएफ की अहम बैठक होनी है. इस दौरान एफएटीएफ पाकिस्तान के ‘ग्रे लिस्ट’ दर्जे को हटाने या बरकरार रखने पर विचार करेगा. संगठन एक कदम आगे जाते हुए पाकिस्तान को ‘ब्लैकलिस्ट’ कर सकता है और आगे वित्तीय मदद में भी कटौती कर सकता है. पाकिस्तान 27- प्वाइंट एक्शन प्लान को लेकर अपनी प्रतिबद्ध जाहिर करने की कोशिश कर रहा है.
वेल्स ने साफ कहा, “एफएटीएफ के फैसले और आईएमएफ प्रोग्राम को देखते हुए आगे आने वाले कुछ महीने पाकिस्तान के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अब देश में आतंक के ठिकानों को खत्म करने पर निर्भर करेगी.” उन्होंने कहा, “अमेरिका का मानना है कि पाकिस्तान ने बीते समय में कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं और हम चाहते हैं कि पाकिस्तान इस एक्शन प्लान को पूरा करे.”