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हज के समय कटने वाले 20 से 25 लाख जानवरों का मांस आखिर कहां जाता हैं

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अभी पिछले दिनों सऊदी अरब के शहर मक्का हज यात्रा संपन्न हुई. इस्लाम में हज एक महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य हैं. जिस मुसलमान के पास इतना पैसा हो कि, वह मक्का जाकर हज कर सकता हैं उसके लिए हज करना अनिवार्य हैं. हज सऊदी अरब के शहर मक्का में अदा किया जाता हैं.

हज 5 दिनों में पूरा होता हैं. इन 5 दिनों कई रस्मों को पूरा किया जाता हैं. इन रस्मों में से एक महत्वपूर्ण रस्म कुरबानी होती हैं. हर हाजी को अपने ओर से एक जानवर जिबह करना होता हैं. जानवर की क़ुरबानी के साथ हज पूरा हो जाता हैं. उस दिन को ईद-उल-अज़हा कहा जाता हैं.

हर साल पूरी दुनिया से 20 से 25 लाख लोग हज के लिए आते हैं यानी हर साल सिर्फ ईद के 3 दिन में 20 से 25 लाख जानवरों (ऊंट, भेड, बकरा ) की कुरबानी दी जाती हैं. इतनी बड़ी मात्रा में जानवर कटने के बाद जो मांस निकलता है, उसे सऊदी सरकार प्रोसेस कर एयरकंडीशन कंटेनर में भर कर गरीब मुस्लिम देशों, जैसे सूडान, सोमालिया, इंडोनेशिया और युद्धग्रस्त मुस्लिम देश सिरिया, अफगानिस्तान और इराक भेज देते हैं. वहां पर यह प्रोसेस किया हुआ मांस छोटे-छोटे पैकेटों में मुफ्त में बांटा जाता हैं.

सऊदी सरकार ने इसके लिए बहुत अच्छा नियोजन किया हुआ हैं जिससे इतनी बड़ी मात्रा में जानवर कटने के बाद भी कोई गंदगी नहीं होती हैं और जानवरों का मांस भी गरीबों तक पहुंच जाता हैं.