- पने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई अन्य हाई प्रोफाइल मामलों की सुनवाई की
- 62 वर्षीय न्यायाधीश ने मंगलवार को उन्हें ‘मुख्य षडयंत्रकारी’ करार दिया था
- उन्होंने मोइन कुरैशी के खिलाफ धन शोधन के मामले सहित भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मुद्दों की भी सुनवाई की
पी चिदंबरम की गिरफ्तारी की राह आसान बनाने वाले न्यायमूर्ति सुनील गौड़ बृहस्पतिवार को सेवानिवृत्त हो गए। वह दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद पर तैनात थे। बता दें कि गौड़ ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर उनकी गिरफ्तारी का रास्ता आसान कर दिया था।न्यायमूर्ति गौड़ ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं के अभियोजन की भी राह तैयार की थी। न्यायमूर्ति गौड़ को अप्रैल 2018 में पदोन्नत कर उच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया था। उन्हें 11 अप्रैल 2012 को स्थायी न्यायाधीश नामित किया गया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई अन्य हाई प्रोफाइल मामलों की सुनवाई की।
उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में सोमवार को कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी की अग्रिम जमानत नामंजूर कर दी। न्यायमूर्ति गौड़ ने कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) मामले में पिछले साल एक फैसला सुनाते हुए उसे यहां आईटीओ स्थित अपना कार्यालय खाली करने को कहा था।
हालांकि, इस फैसले को उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने बरकरार रखा लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इस साल अप्रैल में इस पर रोक लगा दी। यह विषय फिलहाल शीर्ष न्यायालय में लंबित है। न्यायमूर्ति गौड़ ने विवादास्पद मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ धन शोधन के मामले सहित भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़े कुछ अन्य मुद्दों की भी सुनवाई की।
मामले में चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए 62 वर्षीय न्यायाधीश ने मंगलवार को उन्हें ‘मुख्य षडयंत्रकारी’ करार दिया था। बुधवार रात यहां गिरफ्तार किये गए चिदंबरम ने इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। शीर्ष न्यायालय चिदंबरम की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।