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अमरनाथ यात्रा समय से पहले खत्म, सामने आया ‘खौफनाक’ सच

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जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने शुक्रवार को एक एडवाइजरी जारी कर सभी अमरनाथ यात्रियों को यात्रा रोक कश्मीर छोड़ने की हिदायत दी. एडवाइजरी में अमरनाथ यात्रा पर मंडरा रहे आतंकी खतरे का हवाला दिया गया और कहा गया कि आतंकी यात्रा को निशाना बना सकते हैं और इसकी ख़ुफ़िया जानकारी सरकार को मिली है. वहीं इस एडवाइजरी में कश्मीर गए पर्यटकों को भी कश्मीर से घरों की और लौटने की हिदायत दी गई. इसके बाद देश की तमाम पार्टियों ने मौजूदा केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए इसे डरा हुआ कदम बताया. जबकि यात्रियों का लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने यात्रा को लेकर कहा कि यह फैसला क्यों लिया गया, मैं नहीं समझ पाया. लाखों अमरनाथ यात्रियों को बेहद असुविधा हुई है. मुझे इस सरकार पर कतई भरोसा नहीं है. झूठ बोलने में मैंने इनसे बड़ी सरकार नहीं देखी. जबकि कांग्रेस के एक और नेता मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पाक समर्थित आतंक का अक्टूबर 1947 से सामना कर रहा है. सबसे खराब समय 1990 में था जब केंद्र में बीजेपी समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी. भारत ने पाक के सामने आज की तरह न अक्टूबर 1947 में और न ही 1990 में सरेंडर किया था. अमरनाथ यात्रा रोकने की जगह सरकार को श्रद्धालुओं को सुरक्षा मुहैया करवानी चाहिए थी.

ये थी वजह

सेना और राज्य पुलिस ने बताया कि अब आतंकी किस तरह अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की साज़िश कर रहे हैं. यात्रा के रूट पर हुए सर्च ऑपरेशन में बड़ी तादाद में हथियार, माइन और US मेड स्नाइपर राइफल बरामद हुए हैं, जिसका इस्तेमाल अमरनाथ यात्रा पर हमले के लिए किया जा सकता था. पाकिस्तान के इशारों पर आतंकी अमरनाथ यात्रियों पर हमले की फिराक में थे. 
यह पहली बार हुआ है कि जब सरकार ने आतंकी खतरे को देखते हुए यात्रा को समय से पहले खत्म कर दिया हो. राज्य में तैनात रहे एक पूर्व DGP ने न्यूज़18 से कहा कि इससे पहले ख़राब मौसम के चलते कई बार यात्रा रोकी गयी है, लेकिन आतंकी खतरे को देखते हुए यात्रा को समय से पहले कभी खत्म नहीं किया गया।

10 जुलाई 2017 की रात अमरनाथ यात्रियों से भरी बस पर लश्कर के आतंकियों ने हमला कर दिया था जिसमें 7 श्रदालुओं की जान चली गयी थी. यह हमला तब हुआ जब यात्री दर्शन करने के बाद वापिस लौट रहे थे. आतंकियों ने बस पर अंधाधुंध फायरिंग की थी,जिसमें कई लोग जख्मी भी हुए, लेकिन इस हमले के बावजूद यात्रा नहीं रोकी गई. हालांकि यात्रा के लिए और कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए.

बुरहान वानी के बाद बिगड़े हालात, यात्रा नहीं रुकी
8 जुलाई 2016 को हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी को सुरक्षा बलों ने मार गिराया,जिसके बाद घाटी के हालात बिगड़ते चले गए. सड़कों पर प्रदर्शन, पत्थरबाज़ी कई दिनों तक चली और जिसके कारण अमरनाथ यात्रा को कई बार ससपेंड करना पड़ा. जम्मू-कश्मीर के एक पूर्व मुख्य सचिव ने न्यूज़ 18 से कहा कि उस वक़्त हालात बहुत ख़राब थे. हाईवे पर प्रदर्शन और पत्थरबाज़ी के बीच अमरनाथ यात्रियों को राजमार्ग से ले जाना सुरक्षित नहीं था. ऐसे में सारी मूवमेंट रात को की जाती थी. अंधेरा होते ही अमरनाथ यात्रियों को हाईवे से यात्रा के लिए ले जाया जाता रहा और दिन में दर्शन करने के बाद रात को ही लौटने का मूवमेंट होता था, लेकिन यात्रा रोकी नहीं गई.

2000, 2001 और 2002 में भी यात्रा को निशाना बनाया गया

2 अगस्त 2000 में अमरनाथ यात्रियों पर सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ. पहलगाम के नुनवान बेस कैम्प पर आतंकियों ने हमला कर दिया,जिसमें 32 लोगों की जान चली गई. मारे गए लोगों में यात्री, दुकानदार और बोझ उठाने वाले शामिल थे.

20 जुलाई 2001 में भी आतंकियों ने शेषनाग कैम्प पर हमला कर दिया था. कैम्प पर ग्रेनेड से हमला किया गया और गोलियां बरसाई गयी. इस हमले में 13 लोगों की जान गई थी.

जबकि 2 अगस्त 2002 में भी पहलगाम के करीब यात्रा को निशाना बनाया जिसमें 9 लोगों की मौत हुई. इसके अलावा 2006 में अमरनाथ यात्रियों की बस पर ग्रेनेड फेंका गया जिसमें 5 लोग ज़ख़्मी हुए. इन सभी हमलों के बावजूद यात्रा को रोका नहीं गया.

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने पर मिली पहली धमकी

1992 में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद 1993 में आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार ने इस यात्रा पर हमले की योजना बनाई थी. इस संगठन ने अमरनाथ यात्रा पर प्रतिबंध का भी ऐलान किया. इस संगठन ने अपने कदम को बाबरी मस्ज़िद ढहाए जाने के विरोध में की गई कार्रवाई बताया. लेकिन स्थानीय आतंकियों की मदद न मिलने से यह मंसूबा सफल नहीं हो सका.