हिमाचल प्रदेश को देवी-देवताओं की भूमि कहा जाता है. यहां धार्मिक पर्यटन के लिए हर साल लाखों देशी एवं विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं.
शिमला और मनाली, डलहौजी, धर्मशाला समेत कई इलाकों में बड़ी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते हैं.
मनाली के ढूंगरी में स्थित देवी हिडिम्बा का मन्दिर काफी साल पुराना है.मनु की नगरी मनाली में देवी हिडिम्बा को यहां की आराध्य देवी भी कहा जाता है.
देवी हिडिम्बा का मंदिर मनाली शहर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है.
मंदिर के चारों तरफ देवदार के ऊंचे-ऊंचे वृक्ष इसकी सुदरता में चार चांद लगा देते हैं. कहा जाता है कि सन 1553 ईसवी में कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. यह मंदिर पगौडा शैली में निर्मित है. इस मंदिर की उंचाई 80 फीट है. निर्माण में देवदार की लकडियों का प्रयोग किया गया है.
देवी हडिम्बा को कुल्लू में सबसे शक्तिशाली देवी भी माना जाता है. मंदिर में माता दुर्गा की मूर्ति और चरण पादुकाएं है, जिनकी रोजना सुबह व शाम को पूजा होती है.
कहा जाता है कि प्राचीन समय में देवी हडिम्बा अपने भाई हडिम्ब के साथ यहां पर रहती थी. हडिम्ब बहुत बलवान था और हडिम्बा ने प्रण लिया था कि जो भी उसके भाई को पराजित करेगा, वह उससे शादी करेगी.
जब पांडव अज्ञातवास मनाली आए तो तब हडिम्ब का भीम से युद्ध हुआ और भीम ने हडिम्ब का वध किया.
इसके बाद माता हडिम्बा ने भीम से शादी की और उसके बाद उनका एक बेटा घटोत्कच हुआ. देवी हिडिम्बा को कुल्लू के राज घराने की दादी भी कहा जाता है. देवी हिडिम्बा के कुल्लू में पहुंचने पर ही कुल्लू दशहरा शुरु होता है.