कृषि वैज्ञानिकों ने प्रदेश के किसानों को खरीफ मौसम में खेती-किसानी से संबंधी आवश्यक सलाह दी है। खरीफ मौसम में जिन किसान भाइयों को फसलों की बुआई करना हो, वे उन्नत किस्म के प्रमाणित बीजों की व्यवस्था मानसून आने के पहले कर लेवें।
किसान आवश्यकता के अनुसार अपनी खेतों की जोताई कर खरीफ फसलों की बुआई के लिए तैयारी करें। खेत की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत आवश्यक रूप से इस समय करें। खुर्रा बोनी में पंक्ती बोआई को प्राथमिकता देवें तथा बारिश होने पर ही बुआई करें। कम वर्षा की स्थिति में, कम अवधि में तैयार होने वाली धान की किस्में जैसे- दंतेश्वरी, सम्लेश्वरी, चन्द्रहासिनी, एम.टी.यू.-1010, सहभागी, इंदिरा बारानी आदि की बुआई करें।
रोपा धान के खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए किसान भाई हरी खाद वाली फसलें जैसे- ढेंचा, सनई आदि की बुआई करें। एक एकड़ में बुआई के लिए 20 से 25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं। खरीफ की अन्य फसलंे मक्का, ज्वार, सोयाबीन, उड़द, मुंग, मूंगफल्ली एवं अरहर की बोनी कतारों में बारिश होने पर ही करें। अरहर के साथ उड़द, मुंग, सोयाबीन तथा तिल की सहफसली खेती लाभदायक है। ध्यान रहे की सभी फसलों के बीज प्रमाणित व उन्नत किस्म के हो तथा बोने से पहले उचित बीजोपचार अवश्य करें।