ग्राम देवादा निवासी राजेंद्र साहू अपने खलिहान में बाउंड्री का कार्य महीनों से टालते जा रहे थे। कर्जमाफी जैसे ही हुई, उन्होंने यह कार्य पूरा कर लिया। प्रहलाद वर्मा हाइटेक खेती करना चाह रहे थे और ट्रैक्टर लेना चाह रहे थे, फिर भी इसके लिए आवश्यक पहल नहीं कर पा रहे थे। कर्जमाफी ने हिम्मत दी और अब उनके दरवाजे पर ट्रैक्टर खड़ा है। पोषण वर्मा ने बाइक ले ली है और अब पाटन तथा दुर्ग जाने के लिए उन्हें देर तक बस का इंतजार नहीं करना पड़ता। उनका कार्य सहज हो गया है। यह सारे कार्य कर्जमाफी और 2500 रुपए में धान खरीदी से हो पा रहे हैं। सरपंच श्री सुरेंद्र वर्मा बताते हैं कि गांव में किसानों को कर्जमाफी से काफी राहत मिली है। वे इस पैसे का उपयोग अब अपने खेतों को सुधारने में कर रहे हैं। खेती में लगातार पस्त होते हालात को देखते हुए इस बात की गुंजाइश बहुत कम रह गई थी कि किसान खेती में पैसे लगा सकें। अब किसान के पास पैसे आए हैं तो कोई भूमिसमतलीकरण का कार्य करा रहा है कोई ब्यारे में बाउंड्रीवाल करा रहा है तो कोई ट्रैक्टर खरीद रहा है। श्री वर्मा ने बताया कि सभी किसानों के घर में जिन्हें कर्जमाफी का लाभ मिला है कुछ न कुछ खरीदी हुई है। इससे बाजार को भी लाभ पहुंचा है। व्यापारी वर्ग भी काफी खुश है। खेती-किसानी के बेकार हालात से उनका व्यापार भी उठ नहीं पा रहा था लेकिन कर्जमाफी और 2500 रुपए धान खरीदी ने उन्हें बड़ा सहारा दिया। कोटवार राकेश दास ने बताया कि उनकी मां का 29 हजार रुपए माफ हुआ। इससे उन्होंने जर्जर पड़े मकान की मरम्मत कराई। बारिश होने से पहले मकान ठीक हो गया, नहीं तो बारिश भर परेशानी झेलनी पड़ती। देवादा के किसानों ने बताया कि किसान जितनी मेहनत करते हैं उसकी तुलना में उन्हें मुनाफा नहीं मिल पाता। इसकी वजह से हर बार फसल लेने के बाद भी उनकी स्थिति वही की वही रहती है। राज्य शासन के 2500 रुपए धान खरीदी के निर्णय से इस स्थिति में बदलाव आएगा। किसान पूरे मनोयोग से खेती करेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही शासन की नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी योजना भी महत्वपूर्ण है। इससे खेती किसानी की तस्वीर बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में चारागाह की बड़ी समस्या है। इस योजना के माध्यम से मवेशियों की समस्या भी दूर हो जाएगी और हमारे लिए मवेशियों की उपादेयता बढ़ जाएगी। राकेश ने बताया कि जब उन्होंने लोगों को कर्जमाफी का प्रमाणपत्र सौंपा तो उनके आंखों में चमक थी। किसानों ने कहा कि यह उनके श्रम को मिला सम्मान है।