छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जल्दी ही पूरे प्रदेश में यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम लागू करने की तैयारी कर रही है. खास बात ये है कि इसे बाकायदा योजना नहीं बल्कि एक कानून के रूप में लागू किया जाएगा. इस तरह का कानून बनाने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य बन जाएगा. इस स्कीम के तहक सूबे में रहने वाले हर व्यक्ति को मुफ्त चिकित्सा सुविधा सरकार मुहैया कराएगी.
‘इलाज के लिए रुपए खर्च करने की सीमा नहीं’
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि आदर्श चुनाव आचार संहिता खत्म होते ही राज्य सरकार यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम को लेकर अपने कदम आगे बढ़ाने की याजना तैयार कर रही है. उन्होंने कहा कि इस योजना को लागू करने के बाद प्रदेश में लोगों के इलाज के लिए रुपए खर्च करने की सीमा नहीं होगी. दवाइयों से लेकर इलाज तक में जितना रुपया भी खर्च होगा, वो राज्य सरकार ही वहन करेगी. मालूम हो कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम का जिक्र किया था, जिसे अब पूरा करने जा रही है.
स्मार्ट कार्ड की जगह हेल्थ रजिस्ट्रेशन नंबर
जानकारी के मुताबिक इस योजना को लागू करने के बाद जो स्मार्ट कार्ड बनाए गए हैं, अब उनके स्थान पर एक हेल्थ रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाएगा. जिसके आधार पर लोगों का सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज होगा. लेकिन यहां सवाल यही है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहतर नहीं है, जिसके कारण आम लोग भी सरकारी अस्पतालों में इलाज से बचते हैं और जो लोग अस्पताल पहुंचते भी हैं. वो सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं से परेशान हैं. प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मैकाहारा में ही लोग परेशान नजर आते है. वहीं इस योजना को लेकर आम जनता का कहना है कि अगर यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम लागू कर दिया जाता है ऐसे में इलाज के लिए काफी सहूलियत मिलेगी.
योजना पर भाजपा ने खड़े किए सवाल
वहीं दूसरी ओर इस योजना को लेकर भाजपा ने भी सवाल खड़े किए हैं. भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि सरकार अपना कलेवर और फ्लेवर लगाकर योजना ला रही है जबकि सरकारी अस्पताल में कोई इलाज कराना नहीं चाहता है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्था को ही दुरुस्त करने की जरुरत है.