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दक्षिण में भी छत्तीसगढ़ का कोसा बना आकर्षण का केंद्र, तिरुपति बालाजी मंदिर में लगी एग्जिबिशन

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दक्षिण भारत के लोगों ने भी छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क को हाथों-हाथ लिया है। आंध्रप्रदेश के तिरुमला स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर और दिल्ली तथा देश के अन्य शहरों में स्थित उसके केंद्रों में 11 दिन का ब्रह्मोत्सव बुधवार से शुरू हुआ। दिल्ली के तिरुपति बालाजी मंदिर में छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प और हाथकरघा उत्पादों की प्रर्दशनी भी लगाई गई है, जो श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। 1.2 एकड़ में फैला भगवान तिरुपति बालाजी का दिल्ली मंदिर, बिरला मंदिर के पास नई दिल्ली के केंद्र में स्थित है।

अनंदिता ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क की साड़ी वह अपनी बेटी को उसकी शादी में उसे गिफ्ट करेंगी। उन्होंने बताया कि जून में बेटी की शादी है, छत्तीसगढ़ का सिल्क और उसकी डिजाइन अपने में कुछ खास है। आरती ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कोसा सिल्क का कपड़ा नेचुरल डाई से बना है, इस प्रकार का सिल्क देश के दूसरे राज्यों में नहीं बनता है।

प्राकृतिक रंग से तैयार होता है कपड़ा

छत्तीसगढ़ के हाथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी में सिल्क के कपड़े प्राकतिक रंग से तैयार किए गये है। जैसे पीला रंग गेंदे के फूल से बनाया गया है। काला रंग मशरूम और प्याज के रंग से तैयार किया गया है। इस प्रकार कोसे के कपड़े जो थान में यहां उपलब्ध हैं, उन पर वेजीटेबल कलर किया गया है। तिरुपति मंदिर में आए होटल व्यवसायी अशोक ने कहा कि, छत्तीसगढ़ के ढोकरा आर्ट को वे अपने होटल को सजाने के लिए लेंगे।