हेमंत गणेश्वर एकमात्र ऐसे पर्वतारोही बन गए हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के खोज एव बचाव अभियान में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया है.उत्तराखंड में हुए एक रेस्क्यू ऑपरेशन में उन्होने हिस्सा लिया.
अपना अनुभव शेयर करते हुए हेमंत ने बताया कि उत्तराखंड के डोकरीनी ग्लेशियर और माउंट जोंली के पर्वतीय क्षेत्रों में अत्यधिक बर्फ़बारी की वजह से यह अभियान बेहद कठिन रहा. खराब मौसम से खुद की सुरक्षा के लिए इस बार इग्लू (बर्फ़ से निर्मित ) बनाकर कुछ दिन भी उन्हे गुजारने पड़े.
हेमंत ने बताया कि 28 दिनों तक पर्वतारोहण करने के दौरान कई पर्वत खोज,राहत एवं बचाव कार्य किए गए, जिनमे हेलीकॉप्टर द्वारा (हेली रेस्क्यू ) ऑपरेशन, विन्चिंग प्रोसेस , अल्पाइन बॉस्केट, पैलोंन (यूरोप की एडवांस रेस्क्यू टेक्निक्स) , एवलांच रेस्क्यू , क्रैवास रेस्क्यू आदि शामिल थे.
हेमन्त का कहना है कि जब पर्वतरोही दल किसी अभियान में जाते है तब मौसम के खराब हो जाने या अन्य विपरीत परिस्थितियों, दुर्घटना, ग्लेशियर या दरारों में गिर जाना, पत्थरों से टक्कर लगने से साथियों को जल्द से जल्द उपचार कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जाना शामिल होता है. खुद को सुरक्षित करते हुए कठिन हालत में दूसरों की मदद करना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था.
अंतरराष्ट्रीय पर्वतारोही हेमन्त प्रदेश के युवाओं को इन साहसिक क्षेत्रों में प्रशिक्षण भी देते हैं. हेमंत ने 2020 में माउंट एवरेस्ट फतह करने का लक्ष्य रखा है.
हेमंत न सिर्फ एक अच्छे पर्वतारोही है बल्कि अपने इन अभियान के जरिए सामाजिक संदेश भी देते हैं.
हेमंत गणेश्वर माउंट किलिमंजारों में भी चढ़ाई कर चुके हैं.