भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि उनके मेकअप पर हर महीने 80 लाख रुपये ख़र्च होते हैं.
क़रीब 45 सेकेंड के इस वायरल वीडियो में कुछ ब्यूटीशियन और स्टाइलिस्ट पीएम नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द दिखाई देते हैं.
फ़ेसबुक और ट्विटर पर यह वीडियो हज़ारों बार देखा जा चुका है और सैकड़ों बार इस वीडियो को शेयर किया गया है.
अधिकांश लोगों ने सोशल मीडिया पर इस वीडियो के साथ लिखा है, “ये है ग़रीब का बेटा, मेकअप करा रहा है. आरटीआई के ज़रिए ख़ुलासा हुआ है कि इसके श्रृंगार के लिए ब्यूटीशियन को 80 लाख रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है.”
गुरुग्राम कांग्रेस के आधिकारिक फ़ेसबुक पेज पर भी यह वीडियो इसी दावे के साथ पोस्ट किया गया है जिसे क़रीब 95 हज़ार बार देखा गया है.
लेकिन अपनी पड़ताल में हमने पाया कि ये वीडियो तो सही है, पर इसे ग़लत संदर्भ के साथ शेयर किया जा रहा है.
साथ ही वायरल वीडियो में पीएम मोदी के साथ दिख रहे लोग उनके पर्सनल मेकअप आर्टिस्ट नहीं हैं.
वीडियो की सच्चाई
जिस वीडियो को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेकअप करने का वीडियो बताया जा रहा है, वो दरअसल मार्च 2016 का है.
ये वीडियो लंदन स्थित मशहूर मैडम तुसाद म्यूज़ियम ने जारी किया था.
16 मार्च 2016 को मैडम तुसाद म्यूज़ियम ने अपने आधिकारिक यू-ट्यूब पेज पर इस वीडियो को पोस्ट किया था.
मैडम तुसाद म्यूज़ियम के अनुसार ये वीडियो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोम के पुतले का माप लेते समय शूट किया गया था.
मैडम तुसाद म्यूज़ियम से क़रीब 20 कारीगरों की एक टीम दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास पर पहुँची थी जिन्होंने चार महीने का समय लेकर पीएम मोदी के पुतले को तैयार किया था.
यानी वायरल वीडियो में जो लोग नरेंद्र मोदी के साथ दिखाई देते हैं, वो मैडम तुसाद म्यूज़ियम के कारीगर हैं, किसी के पर्सनल मेकअप आर्टिस्ट नहीं हैं.
मैडम तुसाद म्यूज़ियम के मुताबिक़ पीएम मोदी का पुतला लंदन के म्यूज़ियम में 28 अप्रैल 2016 को स्थापित किया गया था.
आरटीआई की सच्चाई क्या?
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी से संबंधित जिस कथित आरटीआई को आधार बनाकर ये वीडियो शेयर किया जा रहा है, वैसी कोई आरटीआई पीएम इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद नहीं है.
पीएम इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता, उनकी छुट्टियों, दफ़्तर की वाई-फ़ाई स्पीड और रोज़ के शिड्यूल से जुड़े सवाल लोगों ने आरटीआई के ज़रिये पूछे हैं.
लेकिन वेबसाइट पर दी गई लिस्ट में पीएम मोदी के मेकअप और उनके कपड़ों पर होने वाले ख़र्च का सवाल शामिल नहीं है.
2018 में छपीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने पिछले साल यह पूछा था कि 1988 से लेकर अब तक जो लोग भारत के प्रधानमंत्री रहे, उनके कपड़ों पर कितना सरकारी ख़र्च हुआ?
इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा था कि मांगी गई जानकारी निजी जानकारी की श्रेणी में आती है और इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.
पीएमओ ने अपने इस जवाब में यह नोट भी लिखा था कि प्रधानमंत्री के कपड़ों का ख़र्च सरकार नहीं उठाती है.