कश्मीर में एक शख्स को मानव ढाल बनाकर सुर्खियों में आए मेजर लीतुल गोगोई की वरिष्ठता में कटौती की जाएगी और उन्हें कश्मीर से बाहर भेजा जाएगा. एक स्थानीय महिला के साथ दोस्ती करने के मामले में सेना मुख्यालय ने उन्हें यह सजा दी है. अधिकारियों ने रविवार को इसकी पुष्टि की. मेजर गोगोई और उनके ड्राइवर समीर मल्ला को दो चीजों के लिए कोर्ट मार्शल में दोषी ठहराया गया- पहला स्थानीय महिला से दोस्ती करने और दूसरा ड्यूटी के दौरान ऑपरेशनल एरिया से दूर रहने के लिए. मल्ला को क्या सजा मिलेगी, इसका फैसला उनके कंपनी कमांडर पर सौंपा गया था, जिसमें उन्हें कड़ी फटकार लगाई गई है.
मल्ला पर अवैध तरीके से गायब रहने का आरोप था. मल्ला को साल 2017 में टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती किया गया था और वह जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के 53 सेक्टर में तैनात था. अधिकारियों ने बताया कि सेना मुख्यालय ने कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया की पुष्टि की है और गोगोई को घाटी से बाहर भेजने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि अंतिम आदेश हाल ही में मिले हैं. अफसरों के मुताबिक, गोगोई और मल्ला के खिलाफ ‘समरी ऑफ एविडेंस’ फरवरी में पूरी की गई थी, जिसके बाद कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू की गई. आर्मी कोर्ट ने आरोपी और गवाहों के बयान रिकॉर्ड किए थे, जिसके बाद सजा सुनाई गई.
क्या था मामला
पिछले साल 23 मई को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मेजर गोगोई और उनके ड्राइवर को उस वक्त हिरासत में लिया था, जब उनका होटल स्टाफ के साथ झगड़ा हो गया था. गोगोई 18 साल की लड़की के साथ कथित तौर पर घुसने की कोशिश कर रहे थे. लड़की ने कोर्ट मार्शल के दौरान गवाही देने से मना किया था और सेना के अफसरों से कहा था कि जो बयान उसने मजिस्ट्रेट के सामने दिया था, उसे आखिरी माना जाए. महिला ने यह भी कहा था कि वह मेजर गोगोई के साथ अपनी मर्जी से गई थी. साथ ही कहा कि गोगोई के साथ उसकी दोस्ती उनकी फर्जी फेसबुक प्रोफाइल से हुई, जिसमें उन्होंने अपना नाम उबैद अरमान बताया था.
ऐसे सुर्खियों में आए थे गोगोई
पिछले साल यह मामला सामने आने के बाद सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि अगर मेजर गोगोई दोषी साबित हुए तो उन्हें ऐसी सजा दी जाएगी, जो मिसाल बनेगी. रावत ने कहा था कि अगर सेना का कोई भी अफसर किसी भी अपराध का दोषी पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. मेजर गोगोई 9 अप्रैल 2017 को उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने उपचुनावों में पत्थर बरसा रही भीड़ से निर्वाचन आयोग के सदस्यों को बचाने के लिए एक शख्स को जीप के आगे मानव ढाल के तौर पर बांध दिया था.