भिलाई इस्पात संयंत्र पर अब आसमान से नजर रखी जाएगी। गैस पाइपलाइन, मशीनों की स्थिति, गैलरी का शेड, गैस होल्डर वगैरह की सही स्थिति का आंकलन ड्रोन से किया जाएगा। खतरनाक जगहों पर कर्मचारियों का पहुंचना संभव नहीं होता है। इक्यूपमेंट, स्ट्रक्चर व पाइप जर्जर होने पर भी पता नहीं चलता। सही समय पर मरम्मत और हादसों को रोकने के लिए अब समय-समय पर ड्रोन से फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी की जाएगी। फोटो से जांच-पड़ताल की जाएगी। इसका ट्रॉयल भिलाई इस्पात संयंत्र के जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया है। उम्मीद है कि इसे जल्द ही लागू कर दिया जाएगा।
भिलाई इस्पात संयंत्र के गैस में 14 कार्मिकों की मौत ने सबको झकझोर दिया है। आयेदिन छोटी-छोटी खामियों से हो रही घटनाओं से प्रबंधन ने सबक लिया है। इसलिए प्राइवेट कंपनी के माध्यम से ड्रोन का सहारा लिया जा रहा है। कोक ओवंस एवं सीसीडी में कोकिंग कोल, कोक पाइल्स के वॉल्यूमेट्रिक मापन, कन्वेयर गैलरी की रूफ शीट की स्थिति, महत्वपूर्ण स्थानों पर ऊंचाई से निगरानी, गैस पाइप लाइन और गैस होल्डर सहित ड्रोन तकनीक पर नजर रखी जा सकेगी। एनर्जी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट गैस होल्डर इंस्पेक्शन, हाई वोल्टेज ट्रांसमिशन लाइन और पॉवर सिस्टम्स विभाग में इन्सुलेटर इंस्पेक्शन, पर्यावरण प्रबंधन विभाग द्वारा ग्रीन कवर इंस्पेक्शन की आवश्यकता की पूर्ति की जा सकेगी।
सिक्योरिटी में मददगार होगा साबित
भिलाई इस्पात संयंत्र के इक्यूपमेंट आदि की जांच-पड़ताल के मकसद से ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। प्रतिबंधित क्षेत्र होने से इसका फायदा सुरक्षा के लिए भी उठाया जा सकेगा। बीएसपी अफसरों का कहना है कि सीआइएसएफ के लिए यह काफी कारगर साबित होगा। रात में निगरानी रखना आसान होगा। कई किलोमीटर के दायरे में फैले भिलाई इस्पात संयंत्र की सुरक्षा इस वक्त बड़ी चुनौती बनी हुई है। उᆬंचाई पर स्थित मशीन आदि उपकरण की जांच के साथ ही सुरक्षा के मद्देनजर भी नजर रखना संभव होगा।
खदान में भी रख सकेंगे नजर
ड्रोन तकनीक का उपयोग एरिया मैपिंग, वॉल्यूमेट्रिक आंकलन, संरचनात्मक निरीक्षण और विभिन्ना प्लांट संरचनाओं के 3-डी मॉडलिंग में भी किया जा सकता है। मांग के अनुसार इसे सेंसर के साथ रेट्रो-फिट भी किया जा सकता है। संपूर्ण प्रदर्शन महाप्रबंधक प्रभारी (एमएंडयू) कमलेंदु दास, महाप्रबंधक (ईएमडी) जीएस वेंकट सुब्रमणियन, उप महाप्रबंधक (ईएमडी) पीके सिंह के दिशा-निर्देश में किया गया। राजहरा, नंदिनी और महामाया खदानों सहित बीएसपी के विभिन्ना विभागों ने इस कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया। संभावना जताई जा रही है कि इसका उपयोग खदानों में भी किया जा सकेगा।
सेल की पहली इकाई बनने का दावा भी
प्लांट के सभी स्थानों पर क्षेत्र के प्रदर्शन में सहायक महाप्रबंधक (ईएमडी) एस रमानी द्वारा और ईएमडी के विशिष्ट स्थानों पर उप महाप्रबंधक व विभागीय सुरक्षा अधिकारी (ईएमडी) पुष्पा एम्ब्रोस द्वारा समन्वयक की उल्लेखनीय भूमिका निभाई गई। भारत सरकार के मेक इन इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया पहल के अनुरूप होने वाली इस पहल को सभी ने सराहा। स्टील उत्पादन में अपनी विरासत को बनाए रखने वाली बीएसपी, इस तकनीक का उपयोग करने वाली सेल के अन्य इस्पात संयंत्रों में से पहली इकाई होगी।