छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान कार्य 11 अप्रैल को होना है. सभी राजनीतिक दल प्रचार-प्रसार में पूरा दम-खम लगा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से हर जगह सिर्फ और सिर्फ सीएम भूपेश बघेल ही दिखाई दे रहे हैं. पहले चरण में छत्तीसगढ़ की बस्तर सीट पर वोटिंग होगी. बात अगर अब तक के चुनावी प्रचार की करें तो जहां एक तरफ बीजेपी ने पीएम नरेन्द्र मोदी सहित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्रियों तक को चुनावी प्रचार में झोंक रखा है. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रभारियों के अलावा अब तक कोई भी स्टार प्रचारक या बड़ा चेहरा छत्तीसगढ़ नहीं पहुंचा है. जिससे सीएम और पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने कमान संभाल रखी है.
मसलन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ओर से वन-मैन-शो चल रहा है. बात चाहे चुनावी प्रचार प्रसार की हो या फिर नामांकन रैली की. या फिर प्रेसवार्ताओं की सभी जगहों पर सीएम भूपेश बघेल खुद ही मोर्चा संभाले हुए हैं. तभी तो पहले चरण के मतदान से पहले सीएम ने 50 के करीब चुनावी सभाएं की तो वहीं 10 के करीब नामांकन रैलियों में शामिल भी हो चुके हैं. चूंकि अब स्पष्ट हो चुका हैं कि पहले चरण से पूर्व कोई स्टार प्रचारक नहीं आएगा तो मतलब यह कि प्रचार समाप्ति तक सीएम बघेल ही मोर्चा संभाले रहेंगे. कांग्रेस के अजय साहू का कहना है कि बड़े नेताओं का शेड्यूल तय किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ में बीजेपी के प्रदेश स्तरीय नेताओं के अलावा पीएम नरेन्द्र मोदी, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास चुनाव प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ दौरा कर चुके हैं. 12 अप्रैल को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का शेड्यूल तय है. वे सरगुजा में सभा करेंगे. कांग्रेस मामलों के अंदुरूनी जानकारों की माने तो सूबे में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री चयन से लेकर मंत्रीमंडल गठन तक और फिर लोकसभा प्रत्याशी चयन तक में जो स्थिति बनी है. उसके बाद अधिकांश नेता-मंत्री अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि कांग्रेस में चेहरों का अभाव है. इसलिए कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं आ रहा है.
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सीएम बघेल अकेले के दम पर मिशन 11 तय कर पाएंगे. सवाल यह भी कि क्या कांग्रेस में सच में वन-मैन-शो चल रहा है. सवाल यह भी कि क्या सच में कांग्रेस के नेता अलग-थलग पड़े हैं या फिर कोई अंदुरूनी खिचड़ी पक रही है. खैर लोकसभा के इस चुनावी बयार में बह रहे ऐसे तमाम सवालों का जवाब 23 मई को मिल ही जाएगा.