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चुनावों में होगा कितना असर? : इसलिए बार-बार राहुल की जुबान पर आ जाता है राफेल का नाम

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 पिछले विधानसभा चुनावों की तरह ही ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भी राफेल विमान सौदा नेताओं के भाषण का अहम हिस्सा बना रहेगा. विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषणों पर गौर करें तो आप पाएंगे कि ऐसा कोई भाषण नहीं था जिसमें उन्होंने राफेल सौदे का जिक्र न किया हो. राहुल ही नहीं राफेल सौदे का जिक्र कर विपक्षी दलों के तमाम नेता सीधा पीएम मोदी पर निशाना साधने की कोशिश करते रहे हैं. यही वजह है कि लंबे समय तक न्याय योजना, रोजगार, आसान टैक्स और कर्जमाफी की बातें करने के बाद गुरुवार को एक बार फिर राहुल को राफेल मुद्दा याद आ गया.नागपुर में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर हमारी सरकार आई तो राफेल सौदे की जांच की जाएगी और चौकीदार जेल में होंगे.

राहुल गांधी इसलिए उठाते रहे हैं राफेल का मुद्दा 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी छवि एक सशक्त, ईमानदार और राष्ट्रवादी राजनेता की बना रखी है. राहुल गांधी इस छवि को तोड़ना चाहते थे. राफेल सौदे का जिक्र कर और उसमें पीएम मोदी की संलिप्तता का दावा कर राहुल गांधी ने कहीं न कहीं उस छवि को चोट पहुंचाई जरूर थी. यही वजह है कि राहुल गांधी का दिया हुआ नारा ‘चौकीदार चोर है’ लोगों में काफी लोकप्रिय हुआ. जिसके बाद बीजेपी ने अपना काउंटर कैंपेन ‘मैं भी चौकीदार’ शुरू किया.

वोटों पर राफेल का प्रभाव 
पिछले विधानसभा चुनावों (खासकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) की बात करें तो राहुल ने अपनी हर रैली में राफेल का जिक्र किया. इसके साथ ही राहुल ने नीरव मोदी और ललित मोदी का नाम भी जमकर इस्तेमाल किया ताकि जनमानस में यह बात बिठा सकें कि ‘चौकीदार चोर है’. लेकिन उनकी रैलियों में आए लोगों से विभिन्न चैनलों के कर्मचारियों ने बात की तो अधिकतर लोग ऐसे निकले जो न नीरव मोदी को जानते थे और न ही राफेल सौदे के बारे में उन्हें कुछ पता था. कुल मिलाकर वोटर पर जिस बात का असर हुआ वह था ‘कर्जमाफी’. राहुल गांधी ने बड़े आत्मविश्वास के साथ इस बात का दावा हर रैली में किया था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ करेंगे. यही वजह है कि मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में फैसला लिया.

लोकसभा में क्या होगा असर 
विधानसभा चुनावों की भांति यह तो तय है कि राफेल सौदा भी मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष का हथियार होगा. पिछले कई लोकसभा चुनाव कवर कर चुके वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर आईएमएन संजय बरागटा की मानें तो राफेल सौदे से मतदाता किसी पार्टी के प्रति प्रभावित होगा ऐसा प्रतीत नहीं होता क्योंकि राफेल का मुद्दा वोटर के हित से सीधा जुड़ा हुआ नहीं है. एक मतदाता अपना वोट तय करता है विकास, रोजगार, कर्जमाफी, महंगाई और स्थानीय मुद्दों पर. राफेल एक अहम मसला जरूर है क्योंकि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इसका इस्तेमाल विपक्ष सिर्फ मोदी सरकार को घेरने और उसकी साफ छवि को धूमिल करने के लिए ही कर सकता है. राफेल सौदे का जिक्र ही यह नरेटिव सेट करता है कि केन्द्र सरकार इस मामले में कुछ तो छुपा रही है. इसके साथ ही वे यह भी कहते हैं कि लोकसभा चुनावों में राफेल वोट पर तो असर नहीं डालने वाला बल्कि अगर कांग्रेस अपनी न्याय योजना और आसान टैक्स सिस्टम की बात जनमानस के मन तक पहुंचा ले गई तो बाजी कांग्रेस के हाथ भी लग सकती है. क्योंकि राफेल सौदा कहीं न कहीं बीजेपी को बैकफुट पर जरूर ले गया है.