छत्तीसगढ़ के सतपुड़ा पर्वत की मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरे सुरम्यवादियों में स्थित ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व के सुप्रसिद्व भोरमदेव मंदिर के प्रांगण में दो दिवसीय भोरमदेव महोत्सव का बुधवार की रात शुभारंभ किया गया। शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि दुर्ग संभाग के कमिश्नर श्री दिलीप वासनिकर और विशिष्ट अतिथि संस्कृति विभाग के संचालक श्री अनिल कुमार साहू थे।
जिला प्रशासन द्वारा आयोजित इस समारोह में का शुभारंभ कमिश्नर ने दीप प्रज्जवलित कर तथा पूजा अर्चना कर किया। उन्होेंने कहा कि भोरमदेव का मंदिर ऐतिहासिक, पुरातात्विक और धार्मिक महत्व का है। संस्कृति विभाग और जिला प्रशासन द्वारा आयोजित समारोह के माध्यम से इसकी ख्याति को दूर-दूर तक पहुंचाना है। उन्होंने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश की तरक्की और खुशहाली की कामना की।
संचालक संस्कृति श्री अनिल कुमार साहू ने कहा कि भोरमदेव मंदिर की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है। उन्होंने भोरमदेव को जिले का गौरव बताया और भव्य आयोजन के लिए जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया। कलेक्टर श्री अवनीश कुमार शरण ने कहा कि भोरमदेव महोत्सव का आयोजन कई वर्षो से होते आ रहा है। जन आस्था को ध्यान में रखकर यह आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि इस समारोह में कबीरधाम जिले के ब्लॉक, अनुभाग एवं जिले के साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से कलाकार अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं। उन्होंने महोत्सव में उपस्थित विशाल जनसमूह से लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अपने मताधिकार का उपयोग करने की अपील की। जिला पंचायत के सीईओ श्री कुंदन कुमार ने मतदाताओं को मतदान दिवस 18 अप्रैल को मतदान करने की शपथ दिलाई।
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले मे प्रारंभ दो दिवसीय भोरमदेव महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर छत्तीसगढ़ के ख्याति प्राप्त कलाकारों और स्कूली बच्चों द्वारा रंग-बिरंगे पोशाक में जहां छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं, लोक संस्कृति और तीज-त्यौहारों पर आधारित गीत एवं नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी वहीं ओडिसी नृत्यांगना श्रीमती पूर्णश्री राउत ने शिव की महिमा, डॉ. आकांक्षा विश्वकर्मा ने शिव प्रस्तुति और कत्थक नृत्यांगना कुमार पलक तिवारी ने चतुरंग एवं सूफी कत्थक नृत्य कर अपनी भाव-भंगिमाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
शुभारंभ समारोह में छत्तीसगढ़ी फिल्म कलाकार श्री सुनील तिवारी और उसकी टीम ने रंग झांझर द्वारा गणपति वंदना से प्रस्तुति दी। महोत्सव में प्रदेश के सुप्रसिद्ध कलाकार सुश्री गरिमा दिवाकर एवं सुश्री स्वर्णा दिवाकर बहनों ने अपने ग्रुप द्वारा देवा श्री गणेशा की स्तुति से कार्यक्रम का शुरूआत की और एक के बाद एक लोक गीतों एवं लोक नृत्यों की बेहतरीन प्रस्तुति दी। महाभारत की कथा पर आधारित पंडवानी गायिका श्रीमती प्रतिमा बारले ने भी शानदार प्रस्तुति दी। खेमेन्द्र कुमार नायक ने वाद्ययंत्र और संजय कुमार चंद्रवंशी ने जसगीत की प्रस्तुति से लोगो को बेहद आकर्षित किया।
महोत्सव में एकलव्य आदर्श आवाासीय विद्यालय तरेगांव जंगल के छात्र-छात्राओं ने छत्तीसगढ़ की लोकरंग “हाय रे सरगुजा नाचे“ मादर की थाप पर बेहतरीन प्रस्तुति दी। इसी विद्यालय के नन्हे बालकों ने “ए माझी ले चले नदिया के पार“ गीत पर कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों का मनमोह लिया। कार्यक्रम में मूकबधिर बच्चों ने भी नृत्य एवं गीत प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। जिला प्रशासन द्वारा कलाकारों को पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।