बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा ऐलान किया है कि वे इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि जरूरत पड़ी और बाद में समीकरण बदले तो वे किसी भी सीट को खाली करवाकर चुनाव लड़ लेंगी। इससे पहले बताया जा चुका है कि सपा-बसपा और रालोद का चुनावी अभियान होली के बाद नवरात्र से शुरू होगा। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सात अप्रैल को देवबंद में संयुक्त रैली कर चुनावी शंखनाद करेंगे। संयुक्त रैली में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह भी मौजूद रहेंगे।
गठबंधन के मद्देनजर मायावती, मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के लिए भी अबकी वोट मांगेंगी। प्रदेश के बाहर ओडिशा से दो अप्रैल को मायावती चुनाव प्रचार शुरू करेंगी। बसपा के उत्तर प्रदेश व मंडल स्तर के प्रमुख पदाधिकारियों की माल एवेन्यू स्थित प्रदेश कार्यालय में गुरुवार को हुई बैठक में बसपा प्रमुख ने रैलियों के बारे में जानकारी दी। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने भी इसकी पुष्टि की है। बसपा की करीब घंटेभर चली बैठक में मायावती गठबंधन की निचले स्तर पर स्वीकार्यता व आचार संहिता के पालन कराने को लेकर चिंतित दिखीं।
उन्होंने कहा कि तीनों दलों के समर्थकों को आपसी मतभेद और गिले शिकवे भुलाकर जी-जान से अहंकारी व जातिवादी भाजपा सरकार को हराने के लिए काम करना है। मायावती ने दावा किया कि गठबंधन को सर्वसमाज का भारी समर्थन मिल रहा है। बदले राजनीतिक माहौल में तन, मन, धन से चुनाव जीतने की तैयारी करना बेहद जरूरी है ताकि सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त की जा सके। मायावती ने कांग्रेस को धोखेबाज बताते हुए नाराजगी तो जताई, लेकिन भाजपा पर कहीं ज्यादातर हमलावर रहीं। कहा, भाजपा की जातिवादी, सांप्रदायिक व गरीब-मजदूर विरोधी नीतियों से जनता पीछा छुड़ाना चाह रही है। जनता ऐसी भाजपा सरकार को दूर से राम-राम करेगी। हार के डर से भाजपा नेता अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं।