छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की खुशियों पर लोकसभा चुनाव 2019 के लिए लगी आदर्श आचार संहिता ने ग्रहण लगा दिया है. आचार संहिता की वजह से अब मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत मई तक विवाह नहीं होगा. अब शादी का सपना संजोने वाले वर वधुओं व परिजन निराश हैं. प्रशासन इसे नियमों की मजबूरी बता रहा है और आचार संहिता के बाद शादी के आयोजन की बात कह रहा है.
छत्तीसगढ़़ में 15 वर्षों बाद सत्ता परिवर्तन हुआ. मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना की राशि 11 हजार रुपये से बढ़ा कर अब 25 हजार रुपये कर दी गई है. कांग्रेस सरकार बनने के बाद शासकीय योजना के तहत राज्य में 4500 जोड़े विवाह बंधन में बंध चुके हैं. हालांकि, विभाग ने टारगेट पूरा कर लिया है, मगर कई निर्धन ऐसे हैं, जिनके सपनों पर पानी फिर गया वजह है आदर्श आचार संहिता. अब लोग इसे नियमों से परे रखने की मांग कर रहे हैं. रामकृष्ण कश्यप का कहना है कि इस तरह की योजनाएं गरीबों को राहत देने के लिए हैं. इन्हें चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए और चुनाव का प्रभाव इन योजनाओं पर नहीं पड़ना चाहिए.
जिलेवार राज्य के महिला एव बाल विकास विभाग को 125 विवाह कराए जाने का लक्ष्य दिया गया था. राजधानी रायपुर में लक्ष्य से तीन गुना अधिक विवाह हुआ. वर्ष 2018 में 324 शादियां शासकीय योजना के तहत हुईं. वहीं नए सरकार बनने के बाद 417 विवाह हुए हैं. 11 हजार की राशि को बढ़ा कर 25 हजार रुपये कर दिया गया है. मगर अब तक बढ़े हुए दर नहीं मिल रहा है.
भारतीय जनता पार्टी आदर्श आचार संहिता और योजना के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगा रही है. भाजपा नेता सत्यम दुआ का कहना है कि छत्तीसगढ़ की जनता को कांग्रेस ने छला है. कांग्रेस के प्रदेश संचार विभाग के प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि आम जनता और गरीबों की चिंता है तो निर्वाचन आयोग को पत्र लिख कर योजना की राशि जारी करने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया जाना चाहिए. बहरहाल कई ऐसी योजना है जिस पर आदर्श आचार संहिता की वजह से ग्रहण लग गया है. अब जरुरतमंदो को मई तक का इंतजार करन पड़ेगा.