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छत्तीसगढ़: एक ओर बंद हो रहे 4000 स्कूल, दूसरी ओर खुल रही 67 नई शराब दुकानें – सरकार की नीतियों पर उठे सवाल

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रायपुर – छत्तीसगढ़ सरकार एक ओर जहां शिक्षा के स्तर को सुधारने के नाम पर विभिन्न योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में स्कूलों के एकीकरण की प्रक्रिया के तहत करीब 4000 स्कूलों को बंद करने और 35,000 शिक्षकों के पद समाप्त करने की तैयारी कर रही है। इससे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर संकट मंडराता दिख रहा है।

सरकारी स्कूलों में पहले ही संसाधनों और शिक्षकों की भारी कमी है। 2 से 3 शिक्षक ही एक स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ मध्यान्ह भोजन, विभिन्न विभागीय कार्यशालाएं, सरकारी सर्वेक्षण और दस्तावेज़ीकरण का काम भी करते हैं। ऐसे में शिक्षण कार्य हाशिये पर चला जाता है और शिक्षा की गुणवत्ता निरंतर गिरती जा रही है। अब जब स्कूलों को एकीकृत कर बंद किया जा रहा है, तो यह सवाल उठना लाज़मी है कि शिक्षा के स्तर को लेकर सरकार की असली प्राथमिकता क्या है?

शराब नीति बनी विवाद का केंद्र: 67 नई दुकानें खोलने का ऐलान

जहां एक ओर बच्चों का भविष्य अधर में लटक रहा है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार ने नई शराब नीति के तहत 67 नई शराब दुकानों को खोलने की अनुमति दी है, जिससे अब राज्य में कुल शराब दुकानों की संख्या बढ़कर 741 हो जाएगी।

आम जनता में इस फैसले को लेकर तीव्र विरोध देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि सरकार एक ओर नशा मुक्त छत्तीसगढ़ की बात करती है, वहीं दूसरी ओर शराब की बिक्री बढ़ाकर समाज को नशे की ओर धकेल रही है।

जनता का सवाल: ‘शिक्षित छत्तीसगढ़ चाहिए या शराबी छत्तीसगढ़?’

छत्तीसगढ़ की जनता अब सरकार से साफ-साफ जवाब मांग रही है – क्या प्रदेश शिक्षित राज्य बनेगा या शराबी राज्य? लगातार शराब दुकानों के बढ़ने से युवा और किशोरों में नशे की लत बढ़ रही है, जिससे शिक्षा छोड़ अपराध और असामाजिक गतिविधियों की ओर रुझान भी बढ़ा है।

पुलिस प्रशासन भी लगातार बढ़ रहे अपराधों पर नियंत्रण करने में विफल नजर आ रहा है। ऐसे में यह सवाल मौजू है कि क्या शिक्षा का बलिदान देकर नशे को बढ़ावा देना ही अब प्रदेश की प्राथमिकता बन गई है?