रायपुर – छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने नया नियम लागू किया है। इस नियम के तहत अब जमीन ट्रांसफर करने में उन्हें शुल्क नहीं देना होगा, जो अपनों के नाम पर जमीन या अन्य प्रॉपर्टी ट्रांसफर करते हैं।
इसके लिए अब केवल 500 रुपए पंजीयन शुल्क लगेगा। बता दें कि पहले प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने पर बाजार मूल्य का 0.8% हिस्सा यानी ( अगर प्रॉपर्टी की कीमत एक करोड़ रुपए है तो 80 हजार रुपए) तक सरकार को देना पड़ता था।
स्टांप ड्यूटी दान के लिए 0.5 प्रतिशत, हकत्याग के लिए 0.5 प्रतिशत और बंटवारे के लिए 200 प्रति हिस्सा लगती थी, इसे यथावत रखा गया है। ऐसे में हजारों लोगों को सीधे फायदा होने वाला है, जो अपने प्रियजनों को अचल संपत्ति उपहार करते हैंै। प्रदेश में पिछले साल 17,125 लोगों ने पारिवारिक दान, 7000 ने हक त्यागनामा और 850 ने बंटवारानामा करवाया था।
तीन अहम आदेशों को ऐसे समझें
– पारिवारिक दान पत्र के अंतर्गत पुत्र, पुत्री, पुत्र वधू, पौत्र, पौत्री को अचल संपत्ति उपहार दी जाती है। दादा, दादी, नाना, नानी अपने नाती, नातिन, पौत्र, पौत्री, पुत्र वधू, पुत्री आदि रक्त संबंधियों को एक करोड़ रुपए की संपत्ति उपहार में देते हैं तो पहले उन्हें 80,000 रुपए पंजीयन शुल्क देना पड़ता। अब मात्र ₹500 का पंजीयन शुल्क लगेगा।
अधिकांश पैतृक संपत्तियां संयुक्त परिवार के सदस्यों द्वारा धारित की जाती है। इनमें कोई सदस्य दूसरे सदस्य को या बहनें अपने भाई को पैतृक संपत्ति में अपने हिस्से का बड़े पैमाने पर हक त्याग करती हैं। पहले अगर संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपए है तो हक त्याग के लिए 80,000 शुल्क लगता है। अब मात्र 500 रुपए ही लगेगा।
किसानों की संपत्तियां आम तौर पर संयुक्त परिवार में होती है। बाद में सदस्यों द्वारा बंटवारा कर संपत्ति अपने-अपने नाम में की जाती है। शुल्क होने के कारण किसान आपस में बंटवारा कर लेते हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में बंटवारानामा नहीं होने से उनकी संपत्तियां पीढ़ी दर पीढ़ी संयुक्त परिवार के नाम से ही चलती रहती है।
प्रॉपर्टी ट्रांसफर का नया नियम क्या है, और इसका लाभ किन्हें मिलेगा?
छत्तीसगढ़ सरकार ने पारिवारिक प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए पंजीयन शुल्क को 80,000 रुपये (या प्रॉपर्टी मूल्य का 0.8%) से घटाकर सिर्फ 500 रुपये कर दिया है। यह नियम पुत्र, पुत्री, पुत्र वधू, पौत्र, पौत्री, दादा, दादी, नाना, नानी जैसे रक्त संबंधियों को संपत्ति ट्रांसफर करने के लिए लागू है। इससे पारिवारिक दान, हक त्याग और बंटवारों के मामलों में लोगों को आर्थिक राहत मिलेगी।
इस बदलाव से संयुक्त परिवारों को क्या फायदा होगा?
संयुक्त परिवार में संपत्ति का बंटवारा अब सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करना सस्ता होगा। इससे संपत्तियां पीढ़ी दर पीढ़ी “संयुक्त” रहने के बजाय व्यक्तिगत रूप से नामांकित हो सकेंगी।