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एयरपोर्ट के काम में देरी से हाईकोर्ट नाराज:कहा-2 सप्ताह के भीतर तय करें मीटिंग, नाइट-लैंडिंग में नई तकनीक का अड़ंगा लगा रहे अफसर

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बिलासपुर – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बार फिर बिलासा एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग और सेना से मिली जमीन के सीमांकन में लेटलतीफी को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने कहा कि 2 सप्ताह के भीतर मीटिंग बुलाए ।

 एयरपोर्ट के विकास और महानगरों से एयर कनेक्टिवटी की मांग को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट में दो जनहित याचिका लगी हुई है। दोनों याचिकाओं की डिवीजन बेंच में एकसाथ सुनवाई चल रही है। सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने बताया कि बिलासा एयरपोर्ट में विकास कार्य की गति पूरी तरह ठप पड़ी हुई है। कोई काम तय डेडलाइन के अनुसार नहीं हो पा रहा है। इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई।

चीफ जस्टिस ने एयरपोर्ट के विकास कार्यों में हो रहे विलंब को लेकर नाराजगी जताई। नाराज डिवीजन बेंच ने चीफ सिकरेट्री को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने कहा है। नाराज कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि वह साफ-साफ बताए और स्थिति स्पष्ट करे कि बिलासा एयरपोर्ट का विकास करना चाहती है या नहीं। डिवीजन बेंच ने इस बात को लेकर हैरानी जताई कि यह जानते हुए भी कि इस मामले को हाई कोर्ट मॉनिटर कर रहा है, इसके बाद इस तरह की देरी और लापरवाही समझ से परे है।

पीआईएल की पिछली सुनवाई 29 नवंबर 2024 को हुई थी। तब राज्य शासन ने डिवीजन बेंच को आश्वस्त किया था कि सभी विकास कार्य तय समय और डेडलाइन में पूरे कर लिए जाएंगे। राज्य शासन के आश्वासन के बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए सात अप्रैल तय कर दिया था। आज सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि एयरपोर्ट विकास की गति वहीं थमी हुई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव और अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने डिवीजन बेंच को बताया कि नाइट लैंडिंग के लिए डीवीओआर मशीन जिसे मार्च तक बिलासपुर पहुंचना था, उसका कुछ हिस्सा तो बिलासपुर पहुंच गया है और कुछ रास्ते में है। मशीनों को स्थापित करने के लिए तीन कमरे का भवन बनाना था उसका काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के अधिवक्ता अनुमेह श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया की मशीन के सभी हिस्से इसी माह के अंत तक बिलासपुर पहुंच जाएंगे। भवन के लिए सिविल और इलेक्ट्रिकल दोनों कार्य ना होने के कारण इसकी स्थापना तुरंत नहीं की जा सकेगी।

सहमति के बाद भी जमीन का नहीं हुआ हस्तांतरण

याचिकाकर्ताओं की ओर से डिवीजन बेंच को बताया कि सेना के जमीन वापसी की पूरी सहमति रक्षा मंत्रालय और राज्य सरकार में हो जाने के बावजूद अभी तक जमीन का हस्तांतरण एयरपोर्ट प्रबंधन के पक्ष में नहीं हुआ है । इस स्तर पर केंद्र सरकार के अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को जानकारी दी कि इस संबंध में आवश्यक राशि राज्य सरकार के द्वारा जमा नहीं कराई गई है। जिसके कारण यह हस्तांतरण रुका हुआ है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से यह भी बताया गया कि फोर सी श्रेणी के एयरपोर्ट को बनाने के लिए जिस डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट की आवश्यकता होगी उसे बनाने का भरोसा शपथ पत्र के माध्यम से नवंबर 2024 में ही राज्य सरकार ने दिया था। परंतु आज तक वह डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई है।

सात साल से लंबित है याचिका

राज्य सरकार की ओर से एयरपोर्ट के आवश्यक कार्यों को समय पर पूरा न करने पर कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर से सवाल किया की आखिर यह स्थिति क्यों है। राज्य सरकार के अधिवक्ता द्वारा दो सप्ताह के समय मांगे जाने पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि सर्वाधिक देरी राज्य सरकार की तरफ से हो रही है और यह भी तब हो रहा है जब याचिका 7 साल से लंबित है। बिलासपुर की जनता लंबे समय से एयरपोर्ट की मांग कर रही है और हाई कोर्ट इन विकास कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहा है।