नई दिल्ली – दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ‘कैशकांड’ में बड़ा अपडेट है। CJI की गठित 3 सदस्यीय टीम मंगलवार (25 मार्च) को जांच करने यशवंत के घर पहुंची। टीम ने दिल्ली 30, तुगलक क्रिसेंट स्थित आवास पर 45 मिनट तक जांच-पड़ताल की। तीनों जज उस कमरे में भी गए जहां 500-500 के जले हुए नोट मिले थे। जांच किस तरीके और किन नियमों के तहत होगी यह कमेटी खुद तय करेगी।
टीम में से जज हैं शामिल
जांच टीम में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। कमेटी जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद जस्टिस यशवंत वर्मा केस में आगे की कार्रवाई होगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने किया विरोध
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को जस्टिस वर्मा को उनके इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश का प्रस्ताव जारी किया था। जस्टिस वर्मा की वापसी के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया। बार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस फैसले पर आपत्ति जताई। मंगलवार को बार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।
कौन हैं यशवंत वर्मा?
6 जनवरी 1969 को जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म हुआ। यशवंत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया। 1992 में रीवा यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की। 8 अगस्त 1992 को यशवंत ने बतौर वकील पंजीकरण कराया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी।
2006 से हाई कोर्ट के विशेष वकील रहे। 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने।
2014 में बने एडिशनल जज
अगस्त 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीनियर वकील बने। 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडिशनल जज बने। 1 फरवरी 2016 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में परमानेंट जज बने। 11 अक्टूबर 2021 को उनका तबादला दिल्ली हाई कोर्ट में कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च 2025 को उनके दोबारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण की सिफारिश की है।
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवासीय बंगले में आग लगने के बाद कैश मिलने का खुलासा हुआ था। जिसके बाद इसका वीडियो भी सामने आया। वीडियो में देखा भारी मात्रा में नोटों की गड्डियां जली हुई है। इस घटना के बाद हड़कंप मच गया। इसको लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और जांच की मांग की गई। हालांकि, जस्टिस यशवंत वर्मा का कहना है कि उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस घर में कैश मिला है, वहां कोई नहीं रहता है।