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विदेशी नागरिकों को वापस न भेजने पर न्यायालय ने असम सरकार से पूछा, ” क्या किसी ‘मुहूर्त’ का इंतजार है”

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नई दिल्ली – उच्चतम न्यायालय ने विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित करने के बजाय उन्हें अनिश्चितकाल तक निरुद्ध केंद्रों में रखने को लेकर असम सरकार को मंगलवार को फटकार लगाई और सवाल किया कि क्या सरकार उन्हें वापस भेजने के लिए ”किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही” है.

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि असम तथ्यों को छिपा रहा है और हिरासत में लिए गए लोगों के विदेशी होने की पुष्टि होते ही उन्हें तत्काल निर्वासित कर दिया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, ”आपने यह कहकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया कि उनके पते ज्ञात नहीं हैं. यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेज दें. क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?” शीर्ष अदालत ने असम सरकार के इस स्पष्टीकरण पर आश्चर्य जताया कि वह विदेश मंत्रालय को राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म इसलिए नहीं भेज रही है, क्योंकि विदेश में बंदियों का पता ज्ञात नहीं है.

पीठ ने असम सरकार की ओर से पेश वकील से कहा, ”जब आप किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करते हैं, तो आपको इसके बाद अगला तार्किक कदम उठाना पड़ता है. आप उन्हें अनिश्चितकाल तक निरुद्ध केंद्र में नहीं रख सकते. संविधान का अनुच्छेद-21 मौजूद है. असम में विदेशियों के लिए कई निरुद्ध केंद्र हैं. आपने कितने लोगों को निर्वासित किया है?” शीर्ष अदालत ने असम सरकार को निर्देश दिया कि वह निरुद्ध केंद्रों में रखे गए उन 63 लोगों को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू करे, जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात है और दो सप्ताह के भीतर वस्तुस्थिति रिपोर्ट दाखिल करे.

न्यायालय ने कहा, ह्लहम राज्य सरकार को इस आदेश के अनुपालन की जानकारी देते हुए उचित हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं. अगर राज्य सरकार को पता चलता है कि राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म दो महीने पहले भेजे गए हैं, तो वह तुरंत विदेश मंत्रालय को एक अनुस्मारक जारी करेगी. मंत्रालय को जैसे ही अनुस्मारक प्राप्त होगा, वह राष्ट्रीयता की स्थिति के सत्यापन के आधार पर प्रभावी कार्रवाई करेगा.ह्व पीठ ने असम के मुख्य सचिव डॉ. रवि कोटा से सवाल-जवाब किए, जिन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश होने का निर्देश दिया गया था. उसने कोटा से पूछा कि बंदियों को उनके संबंधित देशों में वापस भेजने में देरी क्यों हो रही है.

पीठ ने मुख्य सचिव से कहा, ”पता मालूम नहीं होने पर भी आप उन्हें निर्वासित कर सकते हैं. आप उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रख सकते.” असम सरकार के वकील ने बिना पते वाले विदेशियों को निर्वासित करने में असर्मथता जताई. पीठ ने इस पर कहा, ”आप उन्हें उनके देश की राजधानी में भेज सकते हैं. मान लीजिए कि व्यक्ति पाकिस्तान से है, तो आप पाकिस्तान की राजधानी तो जानते ही हैं? आप यह कहकर उन्हें यहां हिरासत में कैसे रख सकते हैं कि उनका पता ज्ञात नहीं है? आप कभी उनका पता नहीं जान पाएंगे.” पीठ ने कहा कि राज्य का खजाना इतने वर्षों से हिरासत में लिए गए लोगों पर खर्च हो रहा है और यह आश्चर्यजनक है कि इससे सरकार को कोई परेशानी नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजालविज ने कहा कि बांग्लादेश ने बंदियों को अपना नागरिक मानने से इनकार कर दिया है.

दो बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़े गये, वापस भेजे गये : असम के मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा कि असम पुलिस ने अवैध रूप से भारत में घुसने की कोशिश करते हुए दो बांग्लादेशी नागरिकों को राज्य के श्रीभूमि जिले में पकड़ा और उन्हें पड़ोसी देश के अधिकारियों को सौंप दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसी भी घुसपैठिए को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी.

विश्व शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “घुसपैठियों के लिए कोई जगह नहीं है. श्रीभूमि पुलिस ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए दो बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा और उन्हें सीमा पार वापस भेज दिया.” घुसपैठियों की पहचान मुहीदा बीबी और मोहम्मद कौसर के रूप में हुई है.

विश्व शर्मा ने कहा, “हम असम में किसी भी घुसपैठिए को प्रवेश करने नहीं देंगे!” पिछले साल पड़ोसी देश में अशांति भड़कने के बाद से पूर्वोत्तर में 1,885 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर निगरानी बढ.ा दी गई है. अब तक असम में 220 से अधिक घुसपैठियों को पकड़ा गया है और वापस भेजा गया है.