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😨 झंगलू :- भइया मंगलू , महाकुंभ के पंडाल में आगी लगे के खबर सुन के मोर पोटा कांप गे ** शुकर हे भगवान के , हालात जल्दी काबू में आगे
😡 मंगलू :- ठीक बोलत हस झंगलू , लेकिन सब झन तोर असन नइ हें । कमीनाई प्रवृत्ति वाला मन तो रोटी सेंके के तइयारी शुरू कर दे रहिन होहिं * बेलना , पिड़हा अउ लोई लेके बइठ गे रहिन होहिं । वो मन तो चाहत हें कि महाकुंभ में कोई अनहोनी हो जाय * चिता में रोटी सेंके के मौका मिल जाय । कुछ जेपीएल ( जघन्य-पाखंडी-लोभी ) ब्लड ग्रुप वाला खबरीलाल मन भी बिक्कट उत्साहित होगे रहिन होहिं ** आग बुझे से ओखर मन के थोथना उतर गिस होहि
विजय मिश्रा
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नोट:- बेलना , जेखर से रोटी बेले जथे , पिड़हा , जेखर ऊपर रोटी बेले जथे , लोई , पिसान ( आटा ) के गोला जेखर रोटी बनथे