गरियाबंद – एक बार फिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर दबंगों ने कायराना घात कर बीजापुर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की निर्मम हत्या कर दी गई है। जिसके बाद पूरे प्रदेश भर के पत्रकारो में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है है। आखिर कब तक ऐसे पत्रकारों की हत्या होती रहेगी और कानूनी कार्यवाही के बाद सरकार और प्रशासन शांत बैठते रहेंगे, छत्तीसगढ़ में पुर्व में भी ऐसे कई पत्रकारों के हत्या के मामले सामने आए हैं लेकिन सरकार इसे लेकर कब गंभीर होगी यह बड़ा सवाल है। क्या सरकार और प्रशासन पत्रकारों को सुरक्षा देने में असफल हो रही है? पत्रकार कानून को सही तरीके से लागू नहीं कर पा रही है? पुर्व में हुए पत्रकारों की हत्या में अपराधियों को सजा दिलाने में असफल नजर आ रही है? आखिर पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम कब उठा पाएगी यह बड़ा गंभीर और सोचनीय विषय प्रतीत होता है और हमें कितने पत्रकारों की कब्रगाह का इंतजार करना होगा?
वहीं इस घटना को लेकर गरियाबंद जिले के छुरा क्षेत्र के पत्रकारों ने भी दुखद संवेदना व्यक्त करते हुए नगर के तिरंगा चौक में केंडल जलाकर स्वर्गीय पत्रकार मुकेश चंद्राकर को श्रद्धांजलि अर्पित की, इस दौरान नगर के वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र तिवारी, संतोष जैन और समद खान के नेतृत्व में स्थानीय पत्रकार कुलेश्वर सिन्हा, प्रकाश कुमार यादव,परमेश्वर राजपूत, यामिनी चंद्राकर, उज्जवल जैन, इमरान मेमन, मेष नन्दन पांडेय ने संयुक्त रुप से थाना प्रभारी छुरा को प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम छुरा थाने पहुंच लिखित ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में पत्रकारों ने मांग की है कि यह इस समय छत्तीसगढ़ के पत्रकार स्वतंत्र रूप से अपनी कलम नहीं चला पा रहें। आये दिनों छत्तीसगढ़ में कई क्षेत्रों में पत्रकारों की कलम को रोकने का प्रयास प्रशासनिक , अधिकारिक ,ठेकेदार,भू_माफिया, शराब माफिया अन्य असमाजिक तत्वों के द्वारा हर स्तर पर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से डराने और दबाने का प्रयास किया जाता रहा है। जिसने अपनी कलम नहीं रोकी तो अनैतिक कृत्य कर उसे इस दुनिया से विदा कर दिया जाता है जिसका गरियाबंद जिले के छुरा नगर के पत्रकार उमेश राजपूत की 2011 में हुई हत्या जीता जागता उदाहरण है। या उसके साथ कोई न कोई अन्य बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है। जिससे छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता इस समय बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है।
आपको ज्ञात होगा कि बीजापुर में ही स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले प्रख्यात युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दी गई है, उनका सिर्फ इतना ही कसूर था कि वो सच्चाई के साथ अपनी बातों को समाज और देश के सामने रखते थे। जिसकी सजा उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। पत्रकारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि पत्रकार साथी मुकेश चंद्राकर की हत्या में शामिल हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तारी की जाये साथ ही उन पर कड़ी कार्यवाही करते हुए उनके सम्पत्ति को कुर्क करके पत्रकार साथी के परिवार को एक करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की करने के साथ अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए,साथ ही दिवंगत पत्रकार साथी मुकेश चंद्राकार को शहीद का दर्जा दिया जाए।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो संदेही हत्यारे ठेकदारों के नाम पर बीजापुर का कोई अधिकारी जो ठेकेदारी के रैकेट का संचालन करते थे,उन्होंने तीन दिनों तक मरहूम पत्रकार के परिजनों और पत्रकारों को वास्तविकता से दूर रखा और हत्यारों को सुरक्षित बाहर जाने का अवसर भी प्रदान किया। इस बात की निष्पक्ष जांच कराई जाए, वहीं इस हत्याकांड का खुलासा वहां के स्थानीय पत्रकारों की सक्रियता के चलते ही इतना जल्द हो पाया है। इसके अलावा प्रदेश में अविलंब ही पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किए जाने की मांग भी की गई है।
बीजापुर की घटना लेकर छुरा के पत्रकारों ने कहा कि पत्रकार मुकेश चंद्राकर के हत्यारों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में प्रकरण चला कर जल्दी से जल्दी फांसी की सजा दी जानी चाहिए।