जगदलपुर – बीजापुर जिले का अम्बेली गाँव जहां पर नेटर्वक की सुविधा नहीं है। ऐसे में नक्सलियों ने इसी गांव को चुना जिससे अगर इस विस्फोट से कोई बच गया तो मुठभेड़ के दौरान किसी भी तरह से जवान अपने लिए बल या फिर पार्टी बुला ना सके, नक्सलियों ने प्लांट किये आईडी को सही समय मे उपयोग किया और 8 जवानों के साथ ही एक आम नागरिक ड्राइवर की भी मौत हो गई।
इस घटना को हुए 20 घंटे से ऊपर हो गया है लेकिन अभी भी घटनास्थल की हवा में बारूद की गंध आ रही है। घटनास्थल में अभी भी जगह-जगह वाहन के परखच्चे बिखरे हुए है, शहीद जवानों के शरीर के अवशेष अब भी कुछ दिखाई दे रहे है, यह सभी अंबेली के पास सोमवार को हुए बारूदी विस्फोट का है, जिस जगह नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया है उस घटनास्थल पर 8 फीट का गहरा गड्ढा बन गया है, विस्फोट के बाद वहां फॉरेंसिक टीम भी मौके पर पहुची, जहाँ सड़क पर बने गड्ढे को देखने के बाद यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम देने के लिए 50 किलो से ज्यादा बारूद प्लांट किया था, जिस जगह को नक्सलियों ने विस्फोट के लिए चुना था, वहां सीमेंट कंक्रीट की सड़क थी, जिसमें अब जगह-जगह दरारें आ चुकी हैं।
देखा जाए तो पुलिस व नक्सलियों के बीच जब भी आमने सामने की लड़ाई हुई है, फोर्स के जवानों से लगातार नक्सलियों ने मात खाई है, जिसके बाद नक्सलियों ने अपनी रणनीति को बदलते हुए अपने पुराने तरीके का उपयोग करते हुए एक बार फिर से आईईडी विस्फोट को अपना मुख्य हथियार बनाया, जिसके बाद नक्सलियों ने पुरानी रणनीति के तहत आईडी ब्लास्ट किया, नक्सलियों ने जिस वाहन को विस्फोट से उड़ाया, उसमें डीआरजी के 8 जवान सवार थे, आईईडी नक्सलियों का मुख्य हथियार है। फोर्स के पास इसे डिटेक्ट करने के सीमित साधन हैं, जो हमेशा कारगर साबित नहीं होते। इसी का फायदा नक्सली उठा रहे हैं और ताक पर बैठे नक्सली जवानों की ओर से होने वाली छोटी सी चूक का अपने तरीके से भरपूर इस्तेमाल कर लिया करते हैं।
ग्राउंड पर मौजूद जवानों का यह अंदाजा है कि नक्सलियों ने कमांड आईईडी के जरिए इस घटना को अंजाम दिया है। सोमवार को निकाले गए इलेक्ट्रिक तार के निशान घटनास्थल के आसपास स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहे हैं। वहीं एक बड़ा पेड़ यह बता रहा है की इस वृक्ष की आड़ लेकर नक्सलियों ने इस आईईडी के जरिए विस्फोट किया है, जिससे फोर्स को नुकसान पहुंचा है।
ऐसा बताया जा रहा है कि अम्बेली गांव को ही नक्सलियों ने क्यों चुना? इसकी एक वजह यह संभावित है कि ग्राउंड जीरो पर मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह से ठप है। विस्फोट में यदि चूक हो जाती है तो इस घटना को कारित करने के लिए वहां मौजूद नक्सलियों को रोकने के लिए जवान मदद ना बुला सकें, इस रणनीति के तहत नक्सलियों ने अम्बेली गांव का चयन किया था। घटनास्थल का जायजा लेने मौके पर पहुंचे डीआईजी कमलोचन कश्यप ने कहा कि एसओपी के पालन में जो चूक हुई है, उसकी समीक्षा की जा रही है। अब इस तरीके की गलती न दोहराई जाए, इस पर मंथन किया जाएगा ताकि नक्सली अपने मंसूबों में फिर से कामयाब ना हो पाएं।