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राजनीति में विषकन्या का क्या काम, जानिए यह कहां से आई और कैसे बनी

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विषकन्या मतलब एक ऐसी युवती जिसके नाखून के छूने से भी किसी इंसान की मौत हो जाए. पुराने जमाने में राजा महाराजा दुश्मन देश के राजओं को परास्त करने के लिए इस विषकन्या का इस्तेमाल करते थे.

कर्नाटक – विधानसभा का चुनावी माहौल जहरीला होता जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोबरा कह कर विवाद पैदा कर दिया तो उसके जवाब में कर्नाटक के एक बीजेपी विधायक बासनागौड़ा यतनाल ने सोनिया गांधी के लिए विषकन्या शब्द का इस्तेमाल कर दिया. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी विधायक की कड़ी निंदा की.

कोबरा और विषकन्या दोनों ही खतरनाक हैं. लेकिन विषकन्या एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में हममें से सभी बचपन से ही सुनते आ रहे हैं जैसे कि परियों की कहानी. उसे हुस्न और अदा की मल्लिका भी कहा जाता रहा है. वह पहले तो मोह लेती है फिर जान ले लेती है. इतिहास-पुराण की कहानियों में भी विषकन्या का जिक्र है. आखिर ये विषकन्या क्या होती है, कैसे बनती है विषकन्या-आइये आपको बताते हैं.

किस्से कहानियों में विषकन्या

विषकन्या कल्पना की उपज नहीं थी. कहते हैं चाणक्य ने सबसे पहले विषकन्या को बनाया था. उसका मकसद दुश्मन देश के शासक को खत्म करना था. राजा के आदेश से विषकन्या को विरोधी व्यक्ति के पास भेजा जाता था जो प्रेमालाप के दौरान नाखून या दांतों का प्रयोग करके सामने वाले की जान ले लेती थी.

चाणक्य के बाद ऐसा माना जाता है कि जब सिकंदर दुनिया जीतने के लिए निकला था तो अरस्तू ने उसे भारत की विषकन्या को लेकर अलर्ट कर दिया था. जिसके बाद सिकंदर संभल गया था.

प्रसिद्ध लेखिका शिवानी और सुरेंद्र मोहन पाठक ने भी विषकन्या नाम से पुस्तक लिखी है. सुरेंद्र मोहन पाठक की पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है- “वो खूबसूरत थी. तौबाशिकन हुस्न की मलिका. वो देवताओं के ईमान को भी खराब कर देने वाली अप्सरा थी. वह किसी की तपस्या का फल, किसी की मिन्नतों का नतीजा थी. वह विषकन्या थी.”

यानी विषकन्या वो होती थी जो बला की खूबसूरत होती थी. लेकिन उसकी खूबसूरती किसी की जान के लिए खतरा होती थी. सन् 1943 में ही ‘विषकन्या’ नाम से एक फिल्म भी बनी थी. तो तमाम लोककथाओं और दंतकथाओं में भी विषकन्या का जिक्र है.

कैसे बनती है विषकन्या?

दरअसल राजा महाराजाओं के दौर में उनकी अनेक अवैध संतानें होती थीं. उन्हीं में से किसी एक खूबसूरत लड़की को इसके लिए चुना जाता था. उसे बचपन से ही उसके भोजन में हल्की मात्रा में जहर देना शुरू कर दिया जाता था. जैसे जैसे लड़की की उम्र बढ़ती थी, उसे जहर की मात्रा बढ़ा दी जाती थी. पूर्ण युवती होने पर उसे दुश्मन देश के राजाओं की जान लेने के लिए उसका इस्तेमाल किया जाता था.

कुंडली में भी विषकन्या योग

किसी भी कन्या या महिला के लिए विषकन्या योग शुभ नहीं माना जाता. ज्योतिष विद्या के मुताबिक जिस लड़की की कुंडली में विषकन्या योग होता है उसका दांपत्य जीवन सुखी नही्ं होता. उसके पति हमेशा बीमार रहते हैं या किसी ना किसी परेशानी से जूझते रहते हैं.

ज्योतिष में जैसे कालसर्प योग, मांगलिक योग होता है उसी तरह से विषकन्या योग भी होता है. इसे पापग्रह की देन कहा जाता है.