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फिर शुरू होगी कैलाश मोनसरोवर यात्रा – भारत से मिलेगी सीधी उड़ान, विदेश मंत्री एस. जयशंकर से चीन की क्या हुई बात?

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भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामान्य स्थिति की बहाली के बाद दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें और अगले वर्ष से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है

नई दिल्ली – भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सामान्य स्थिति की बहाली के बाद दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें और अगले वर्ष से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य तथा विदेश मंत्री वांग यी के बीच G20 शिखर सम्मेलन के मौके पर ब्राजील के रियो डि जनेरियो शहर में मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने के लिए विभिन्न मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई।

विदेश मंत्रालय के अनुसार,‘‘दोनों मंत्रियों ने माना कि हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी ने शांति और स्थिरता बनाए रखने में योगदान दिया है। चर्चा भारत-चीन संबंधों में अगले कदमों पर केंद्रित रही। इस बात पर सहमति हुई कि विशेष प्रतिनिधियों और विदेश सचिव-उप मंत्री तंत्र की एक बैठक जल्द ही होगी।” दोनों पक्षों के बीच जिन कदमों को उठाने के बारे में चर्चा हुई उनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करना, सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करना, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें और मीडिया आदान-प्रदान शामिल थे।

विदेश मंत्रालय के अनुसार,‘‘वैश्विक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर, विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद और समानताएं दोनों हैं। हमने ब्रिक्स और एससीओ ढांचे में रचनात्मक रूप से काम किया है। G20 में भी हमारा सहयोग स्पष्ट रहा है।” विदेश मंत्री ने कहा,‘‘हम बहुध्रुवीय एशिया सहित बहुध्रुवीय दुनिया के लिए द्दढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। जहां तक?? भारत का सवाल है, इसकी विदेश नीति सैद्धांतिक और सुसंगत रही है, जो स्वतंत्र विचार और कारर्वाई से चिह्नित है। हम प्रभुत्व स्थापित करने के एकतरफा द्दष्टिकोण के खिलाफ हैं। भारत अपने रिश्तों को दूसरे देशों के चश्मे से नहीं देखता।”

चीन के विदेश मंत्री ने डॉ. जयशंकर से सहमति व्यक्त की कि भारत-चीन संबंधों का विश्व राजनीति में विशेष महत्व है। उन्होंने कहा,‘‘हमारे नेता आगे बढ़ने के रास्ते पर कज़ान में सहमत हुए थे। दोनों मंत्रियों ने महसूस किया कि यह जरूरी है कि ध्यान संबंधों को स्थिर करने, मतभेदों को प्रबंधित करने और अगला कदम उठाने पर होना चाहिए।”