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किस्सा कुर्सी का… कैसे दूसरे नेताओं को पीछे छोड़ CM की रेस में आगे निकल गईं आतिशी?

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आम आदमी पार्टी (AAP) की वरिष्ठ नेता आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की मंत्री आतिशी को उनके स्थान पर अगला मुख्यमंत्री बनाने का

नई दिल्ली – आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। मंगलवार अरविंद केजरीवाल के आवास पर विधायक दल की बैठक में आतिशी के नाम पर मुहर लगी। अरविंद केजरीवाल के अचानक इस्तीफे की घोषणा के बाद से ही संभावित दावेदारों में सबसे आगे नाम आतिशी का ही चल रहा था। आतिशी अब दिल्ली सरकार की कमान संभालने जा रही हैं। वर्तमान समय में वह कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। दिल्ली के अगले सीएम के लिए कई और नामों पर चर्चा हो रही थी और कयास लगाए जा रहे थे लेकिन बाजी आतिशी ने मारी। आखिर ऐसा क्या था जो आतिशी के पक्ष में गया।

मुश्किल वक्त में सबसे आगे दिखीं आतिशी
दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और फिर पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी के बाद आतिशी ने मार्च 2023 में मंत्री पद की शपथ ली। कालकाजी विधानसभा से जीतकर दिल्ली विधानसभा पहुंची आतिशी के सामने बड़ी चुनौती थी। जब केजरीवाल सरकार पर हमले तेज हो रहे थे तब आतिशी ने मोर्चा संभाला। कई सारे मंत्रालयों की जिम्मेदारी के साथ पार्टी का पक्ष भी दमदार तरीके से वह मीडिया के सामने रखती नजर आईं। जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल चले गए तब कोई बड़ा नेता बाहर नहीं था ऐसे में आतिशी ने मोर्चा संभाला। सरकार और पार्टी दोनों लेवल पर आगे बढ़कर नेतृत्व करती हुई नजर आईं। जिस वक्त पार्टी के दूसरे नेताओं को लेकर सवाल उठ रहे थे कि वह कहां हैं उस वक्त में आतिशी सबसे आगे नजर आईं।

कोई गलती नहीं की और ऐसे हासिल किया विश्वास
सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जैसे बड़े नेता जब जेल में थे उस वक्त आतिशी पार्टी के एक प्रमुख चेहरे के तौर पर सामने आती हैं। मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री बेहतर काम किया। AAP का जोर एजुकेशन पर रहता है और पार्टी इसका प्रचार भी जोर शोर से करती है। सिसोदिया के मंत्री नहीं रहने के बाद यह सवाल था कि कहीं पार्टी इस मुद्दे पर बैकफुट पर न आ जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आतिशी ने वैसे ही काम किया जिससे लोगों को सिसोदिया के वर्किंग स्टाइल की झलक उनमें दिखी। जिस वक्त पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी उस वक्त आतिशी ने कोई गलती नहीं की और विश्वासपात्र बनकर भी सामने आईं।

अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम पर भरोसा जताया
राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ भी कहा नहीं जा सकता। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद यह कहा जा रहा था कि वह किसी विश्वासपात्र विधायक को ही इस कुर्सी पर बिठाएंगे। बिहार और झारखंड का उदाहरण दिया जा रहा था। इस दौरान चंपई सोरेन और जीतन राम मांझी के नाम का भी खूब जिक्र हुआ। हो भी क्यों नहीं क्योंकि कुर्सी का खेल निराला होता है। इन दोनों नेताओं को जब सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी तब वह बागी हो गए। यह सवाल उठाए जा रहे थे इन सवालों के बीच अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम पर भरोसा जताया है।

महिलाओं की बढ़ती भागीदारी, दिया ये संदेश
हाल फिलहाल के चुनावों में उन दलों को बढ़त हासिल हुई जिन पर महिला वोटर्स ने भरोसा जताया। महिला वोटरों की भूमिका बढ़ी है। सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित के बाद अब आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। इस फैसले से महिला वोटर्स के बीच भी एक संदेश जाएगा।