दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो महज 20 मिनट में 8 लाख रुपये काम कर जाता था. ये लोग फर्जी वीजा बनाने की फैक्ट्री चला रहे थे. इन लोगों का धंधा एकदम चकाचक चल रहा था और 5000 लोगों को विदेश भी भेज चुके थे, लेकिन आईजीआई एयरपोर्ट पर एक गलती से उनकी सारी कारिस्तानी कच्चे धागे की तरह खुल गई.
नई दिल्ली – एक तरफ जहां आम लोगों को चंद हजार रुपये कमाने में महीने लग जाता है. वहीं दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो महज 20 मिनट में 8 लाख रुपये काम कर जाता था. ये लोग फर्जी वीजा बनाने की फैक्ट्री चला रहे थे, जहां बस 8 मिनट में एक वीजा छाप लिया जाता था, जिसके एवज में वह 8 लाख रुपये लेते थे. इन लोगों का धंधा एकदम चकाचक चल रहा था और 5000 लोगों को विदेश भी भेज चुके थे, लेकिन एयरपोर्ट पर एक गलती से उनकी सारी कारिस्तानी कच्चे धागे की तरह खुल गई.
पुलिस के मुताबिक, दिल्ली के तिलक नगर इलाके में पिछले 5 सालों से ये फैक्ट्री चल रही थी, जहां से फर्जी वीजा बनवाकर 4 से 5 हजार लोग विदेश जा चुके हैं. इस तरह गैंग के लोगों ने करीब 300 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाए हैं. पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है.
स्वीडिश वीजा से खुली पोल
डीसीपी आईजीआई ऊषा रंगरानी ने इस पूरे गोरखधंधे का खुलास करते हुए बताया, इसी साल 2 सितंबर को कुरुक्षेत्र के रहने वाला संदीप नाम का एक शख्स फर्जी स्वीडिश वीजा पर इटली जाने की फिराक में था, लेकिन इमिग्रेशन चेकिंग के दौरान उसकी जालसाजी पकड़ी गई. पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि उसके गांव के कई लड़के नौकरी की चाहत में ऐसे ही फर्जी वीजा पर विदेश जा चुके हैं.
पुलिस ने बताया कि विदेश जाने की चाहत रखने वाले संदीप ने ट्रैवल एजेंट आसिफ अली से संपर्क किया था. अली ने 10 लाख रुपये में संदीप को यूरोपीय देश भेजने की बात कही. फिर संदीप ने एजेंट के दो बैंक खातों में सात लाख रुपये और 50,000 रुपये जमा कराये.
इसके बाद पुलिस ने आसिफ अली के अलावा उसके साथियों शिवा गौतम और नवीन राणा को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के मुताबिक, शिवा ने पूछताछ में एजेंट बलवीर सिंह का नाम बताया, जिसके बाद पुलिस ने बलबीर सिंह और जसविंदर सिंह को गिरफ्तार किया गया. उन दोनों ने बताया कि फर्जी वीजा मनोज मोंगा तैयार करता है. उसकी तिलक नगर में फैक्ट्री है, जहां कई देशों के फर्जी वीजा बनाए जाते हैं.
ग्राफिक्स डिजाइनिंग में डिप्लोमा होल्डर था सरगना
फिर पुलिस ने तिलक नगर में छापा मारकर मनोज मोंगा को गिरफ्तार कर लिया. मोंगा ने ग्राफिक्स डिजाइनिंग में डिप्लोमा कर रखा था और करीब 5 साल पहले उसकी मुलाकात जयदीप सिंह नाम के शख्स से हुई. जयदीप ने मनोज को कहा कि वो अपने हुनर का इस्तेमाल फर्जी वीजा बनाने में करे. जयदीप ने मनोज को फर्जी वीजा बनाने का सामान मुहैया कराया. बाद में मोंगा ने अपने ग्राहकों को फर्जी ऑफर लेटर भी देने शुरू कर दिए, ताकि उनका वीजा वैध दिखें.