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‘बच्चा मेरा नहीं’, पत्नी बोली DNA टेस्ट करवाओ, पति पहुंच गया हाई कोर्ट, जज साहब बोले- करवाना तो पड़ेगा

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पंजाब – शादी और भरण पोषण के विवाद में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कथित तौर पर पति का डीएनए टेस्ट करवाने का निर्देश दिया. कथित पत्नी के कोर्ट में मैंटनेंस मांगने के एक मामले में हाई कोर्ट ने कहा है कि पैटरनिटी (पिता होना) साबित करने के लिए ऐसे मामलों में डीएनए टेस्ट करवाने का निर्देश दिया जा सकता है. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने साफ किया है कि भरण-पोषण के मामलों में पितृत्व का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट का आदेश दिया जा सकता है, भले ही ऐसी जांच के लिए कोई कानून हो न हो.

दरअसल गुजारे भत्ते से जुड़े एक मामले में एक महिला ने आवेदन दायर किया था जिसे फैमिली कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था. इसमें उसने दंड संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की कार्यवाही में अपने बेटे के पितृत्व का पता लगाने के लिए अपने पति से डीएनए नमूने मांगे थे. द ट्रिब्यून के मुताबिक, यह निर्देश न्यायमूर्ति बरार ने मोहाली के प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट के इस आदेश को बरकरार रखने के बाद दिया.

विज्ञान पर भरोसा करना अनुमान पर चलने से बेहतर…
न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बरार ने इस पर ‘अनुमानों का सहारा लेने से बेहतर’ ‘विज्ञान पर भरोसा’ करना कहा उन्होंने कहा कि जहां नाजायज या अनैतिक करार दिया जाना चिंता का विषय नहीं है, वहां न्यायालयों के लिए सच तक पहुंचने और सटीक न्याय करने के लिए विज्ञान पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं है. न्यायमूर्ति बरार ने कहा कि सबूत अधिनियम जैसे कानून बनाने के समय विज्ञान और तकनीक आज जितनी उन्नत नहीं थी. कानून को समय के साथ चलना चाहिए. बेंच ने फैसला सुनाया कि किसी भी पक्ष को अपने दावों के समर्थन में सबसे बेहतर उपलब्ध सबूत पेश करने का अवसर न देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के साथ-साथ प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी उल्लंघन होगा.

शख्स ने किया महिला और बच्चे से कोई भी संबंध होने से इंकार…
बेंच को बताया गया कि आदमी ने महिला और बच्चे के साथ किसी भी तरह के संबंध से साफ इनकार किया है. उसने वास्तव में महिला के साथ विवाह के औपचारीककरण से ही साफ इनकार किया था, जबकि यह भी कहा था कि बच्चा कथित विवाह से पैदा नहीं हुआ था. मोहाली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए उसने इस संदर्भ में डीएनए सैंपल लेने का कोई क्लिटर कट कानून न होने की ओर इंगित किया था.

पॉजिटिव डीएनए टेस्ट से होगा यह  कि…
न्यायमूर्ति बरार ने कहा कि पैटरनिटी टैस्ट का परिणाम यह पता लगाने में महत्वपूर्ण होगा कि प्रतिवादी-बच्चा भरण-पोषण का हकदार है या नहीं. बच्चे का आधार कार्ड और पासपोर्ट जिसमें याचिकाकर्ता का नाम उसके पिता के रूप में दर्शाया गया है, कोर्ट के रिकॉर्ड में रखा गया है. इससे डीएनए परीक्षण यदि पॉजिटिव आया तो बच्चे के भरण-पोषण के लिए याचिकाकर्ता का जवाबदेही होगी और महिला का मामला भी मजबूत हो जाएगा.