छत्तीसगढ़ की राजधानी के बीचो बीच एक ऐसा अधूरा निर्माण कार्य खड़ा है जो पिछले 7 साल से पूरा होने का इंतजार कर रहा है. इस निर्माण कार्य को रायपुर की जनता स्काईवॉक के नाम से जानती है. सरकार आई और गई लेकिन कोई भी इसे पूरा ना कर सका.अब एक बार फिर साय सरकार में इसे पूरा करने की बात सामने आई है.लेकिन क्या स्काईवॉक पूरा होगा या नहीं आईए जानते हैं
रायपुर। प्रदेश में भाजपा की जीत के बाद विधायक और पूर्व मंत्री राजेश मूणत का बड़ा बयान सामने आया है। राजेश मूणत ने कहा कि शहर के विकास और जनता के सुविधा के लिए स्काईवॉक को पूरा किया जायेगा। शहर के प्रमुख मार्ग पर बन रहे स्काई वाक का निर्माण कांग्रेस की भूपेश सरकार ने रुकवा दिया था। अब फिर से भाजपा की सरकार बानी है और पूर्व मंत्री राजेश मूणत भी चुनाव जीतकर सत्ता में आ गए हैं। ऐसे में स्काई वाक का निर्माण पूरा किये जाने की बात कहकर मूणत ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया है।
मूणत ने यह भी कहा कि अवैध कब्जों पर कार्रवाई नहीं करने वाले अफसरों पर गाज गिरेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि शराब और कोयला घोटाले के आरोपियों को जेल में सुविधा उपलब्ध कराने वाले अफसरों के खिलाफ भी की जाएगी कार्रवाई।
रमन शासन में शुरु हुआ था निर्माण
स्काईवॉक का प्रोजेक्ट पूर्ववर्ती रमन सरकार में तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने साल 2016-17 में शुरू किया था, लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका है.प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का असर स्काईवॉक पर भी पड़ा.कांग्रेस ने पूरे निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर इसके काम को बंद करवा दिया.इसके बाद ना तो इसका काम दोबारा शुरु हुआ और ना ही तोड़ा गया.तब से लेकर अब तक स्काईवॉक यही पूछ रहा कि मुझ पर कौन करेगा वॉक.
सरकार बदली तो खड़े हुए सवाल
स्काईवॉक को लेकर कांग्रेस लगातार सवाल खड़े करती रही कई बार कांग्रेस ने इस मामले को लेकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की है. कांग्रेस का आरोप था कि स्काईवॉक प्रोजेक्ट को जल्दबाजी में पारित किया गया है. यह भी कहा गया था कि 50 करोड़ रुपए से अधिक लागत वाली कोई भी बुनियादी ढांचा परियोजना सार्वजनिक निधि निवेश समिति (पीएफआईसी) की मंजूरी के बाद ही क्रियान्वित की जा सकती है. लेकिन इस परियोजना के लिए नियम का पालन नहीं किया गया. स्काईवॉक निर्माण के लिए मार्च 2017 में मंजूरी दी गई।
कांग्रेस ने टेंडर में गड़बड़ी के लगाए थे आरोप
कांग्रेस की माने तो इस दौरान पीएफआईसी की मंजूरी की आवश्यकता को तत्काल में बीजेपी सरकार में दरकिनार करते हुए परियोजना की लागत 40.08 करोड़ रुपए दिखाई थी. दिसंबर 2017 में इसकी परियोजना लागत बढ़कर 81.69 करोड़ रुपये हो गई थी. इतना ही नहीं संशोधित परियोजना में कुछ ऐसे विवरण भी शामिल किए गए थे जिन्हें मूल रोकी गई परियोजना रिपोर्ट डीपीआर में शामिल किया जाना चाहिए था. यह भी संभावना जताई जा रही है कि परियोजना को पीएफआईसी में लाने से बचने के लिए ऐसा किया गया था. उस दौरान कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने 23 अप्रैल 2018 को परियोजना में 12 संशोधन प्रस्तावित किया. जिसके परिणाम स्वरुप सिविल कार्य में ही 15.69 करोड़ रुपए की और वृद्धि हो गई थी.