नई दिल्ली – लोकसभा में बुधवार को भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय की एक टिप्पणी पर कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा किया और सरकार तथा सदस्य से माफी मांगने को कहा. पश्चिम बंगाल के तामलुक से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय सदन में बजट पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए आर्थिक विषयों पर अपनी बात रख रहे थे.
इस दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने टीका-टिप्पणी की तो गंगोपाध्याय ने कहा कि ”विद्वान सदस्यों को इस विषय के बारे में जानकारी नहीं है और उन्हें सीखना चाहिए.” इसी दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ‘गोडसे’ को लेकर कोई टिप्पणी की जिस पर पलटवार करते हुए गंगोपाध्याय ने उनके लिए एक आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया जिसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया.
तब कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गंगोपाध्याय कहते सुने गए, ”न आप गांधी को जानते हैं, ना ही गोडसे को जानते हैं.” पीठासीन सभापति दिलीप सैकिया ने कहा कि आसन इस बारे में देखेगा और यदि कोई असंसदीय शब्द होगा तो कार्यवाही से हटा दिया जाएगा. गोगोई समेत विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे तो केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सदस्य ने यदि कोई असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया है तो आसन उस पर निर्णय लेगा, लेकिन गौरव गोगोई को भी बजट पर चर्चा के दौरान इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए थी.
गंगोपाध्याय विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच अपनी बात रखते रहे. इस बीच आसन पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला आसीन हुए और उन्होंने विवाद का कारण जानना चाहा. गोगोई ने कहा कि सदन में असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिस पर सांसद को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री मेघवाल को भी इस पर माफी मांगनी चाहिए थी. बाद में बिरला ने कहा कि जिस शब्द पर विवाद हो रहा है, उसे कार्यवाही से हटा दिया गया है.
उन्होंने यह भी कहा, ”कई विषय चर्चा में लाये जाते हैं जिन्हें किसी को नहीं लाना चाहिए. सदन के नेता के बारे में या किसी भी सदस्य के बारे में कोई बात कहते समय बिना प्रमाण के उसे नहीं रखा जाना चाहिए.” इस दौरान विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही गंगोपाध्याय ने अपनी बात जारी रखी और अध्यक्ष ने निर्धारित समय के अनुसार रात्रि आठ बजे कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी.
गौरतलब है कि गत मार्च महीने में न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने वाले गंगोपाध्याय से जब एक टीवी साक्षात्कार में महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे में से किसी एक को चुनने के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ”मुझे इस बारे में सोचना होगा.”