बिलासपुर – छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने रायपुर नगर निगम के कमिश्नर को नोटिस जारी कर पूछा है कि कलेक्टर के निर्देश के बाद भी सरकारी जमीन से कब्जा क्यों नहीं हटा पा रहे हैं। किस बात की परेशानी हो रही है। कोर्ट के निर्देश पर निगम कमिश्नर को बुधवार को इस संबंध में अपनी रिपोर्ट पेश करनी है।
राजधानी रायपुर के कुछ बिल्डरों ने कमाल कर दिया है। अमलीडीह में सिंचाई सुविधा के लिए 35 फीट चौड़ी नहर का निर्माण किया गया था। 35 फीट जमीन पर कब्जा कर दीवार खड़ी कर दिया है। अमलीडीह में ही एक नाला व उससे लगे भूखंड के करीब 17 हजार वर्ग फीट जमीन को पाटकर दुकान बना लिया है। बिल्डरों की देखा-देखी कुछ लोगों ने भी नाले की जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिया है।
रायपुर कलेक्टर ने 17 साल पहले वर्ष 2006 में सरकारी जमीन से कब्जा हटाने निगम को पत्र लिखकर जरुरी निर्देश जारी किया था। इसके बाद भी निगम ने कार्रवाई नहीं की। नहर पर कब्जा कर बिल्डरों द्वारा रायपुर में अवैध निर्माण कराने व सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ अधिकार आंदोलन समिति ने अपने अधिवक्ता बदरुद्दीन खान के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि अमलीडीह स्थित नहर की जमीन को वर्ष 2006 में रायपुर नगर निगम को सौंप दी गई थी। तब इस नहर की चौड़ाई 40 फीट थी। नहर के करीब 35 फीट पर कुछ बिल्डरों ने कब्जा कर दीवार खड़ी कर दिया है। इसके चलते पानी निकासी नहीं हो पा रही है। याचिका में इस बात की भी शिकायत की गई है कि अमलीडीह में ही एक नाले के करीब 17 हजार वर्ग फीट हिस्से को पाटकर बिल्डरों ने निर्माण कर लिया। बिल्डरों की देखा-देखी गांव के कुछ लोगों ने इसी जमीन पर कब्जा कर मकान बना लिया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य शासन सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि कलेक्टर ने स्वयं इस बारे में रिपोर्ट दी थी कि अवैधानिक अतिक्रमण हुआ है इसे हटाया जाए। इस पर कोर्ट ने नगर निगम के अधिवक्ता से पूछा कि कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद भी अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया। कहां परेशानी आ रही है। कारण सहित जवाब पेश करने का निर्देश निगम आयुक्त को दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए बुधवार 24 जुलाई की तिथि तय कर दी है।