Home धर्म - ज्योतिष देवशयनी एकादशी से जुड़ी पूरी जानकारी,उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम

देवशयनी एकादशी से जुड़ी पूरी जानकारी,उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम

30
0

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पद्मा एकादशी भी कहते हैं। पद्मनाभा एकादशी के सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम

देवशयनी एकादशी – आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पद्मा एकादशी भी कहते हैं। पद्मनाभा एकादशी के सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है। इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सभी पापों का नाश होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने का महत्व होता है क्योंकि इसी रात्रि से भगवान का शयन काल आरंभ हो जाता है, जिसे चातुर्मास या चौमासा का प्रारंभ भी कहते हैं। इस अवधि में श्रीहरि पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते हैं।

देवशयनी एकादशी से जुड़ी पूरी जानकारी

PunjabKesari Devshayani Ekadashi

देवशयनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी का आरंभ 16 जुलाई रात 8 बजकर 32 मिनट से होगी। वहीं जिसका अंत 17 जुलाई रात 9 बजकर 1 मिनट पर होगा।

PunjabKesari Devshayani Ekadashi

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह
इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। तुलसी के पौधे व शालिग्राम की यह शादी सामान्य विवाह की तरह पुरे धूमधाम से की जाती है।

PunjabKesari Devshayani Ekadashi

देवशयनी एकादशी पूजा विधि
प्रात:काल उठकर स्नान करना चाहिए। पूजा स्थल को साफ करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर विराजमान करके भगवान का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें।

भगवान विष्णु को पान और सुपारी अर्पित करने के बाद धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर आरती उतारें और भगवान विष्णु की स्तुति करें। पूजन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन या फलाहार ग्रहण करें।

देवशयनी एकादशी पर रात्रि में भगवान विष्णु का भजन व स्तुति करना चाहिए और स्वयं के सोने से पहले भगवान को शयन कराना चाहिए।

चातुर्मास में आध्यात्मिक कार्यों के साथ पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। चातुर्मास में सावन (श्रावण मास) के महीने को सर्वोत्तम मास माना गया है। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है। इसमें भगवान शिव और माता पार्वती धरती पर भ्रमण करने निकलते हैं और इस दौरान पृथ्वी लोक के कार्यों की देखभाल भगवान शिव ही करते हैं। माना जाता है कि चातुर्मास में जरूरतमंद व्यक्तियों को दान देने से भगवान प्रसन्न होते हैं। साभार पंजाब केशरी