पुरी – ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद रविवार दोपहर को फिर से खोला गया. अधिकारियों ने बताया कि आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया है. रत्न भंडार को खोलते समय 11 लोग मौजूद थे, जिसमें उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के नाममात्र राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे. इसे पिछली बार 1978 में खोला गया था.
ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा गया, ‘‘भगवान जगन्नाथ की इच्छा पर उड़िया समुदाय ने ‘उड़िया अस्मिता’ की पहचान के साथ आगे बढ़ने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. आपकी इच्छा पर ही जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खोले गए थे। आज आपकी इच्छा पर ही 46 साल बाद रत्न भंडार को एक बड़े उद्देश्य के लिए दोपहर एक बजकर 28 मिनट की शुभ घड़ी पर खोला गया’
विशेष समिति के सदस्य सौमेंद्र मुदुली ने कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा गठित 16 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने 14 जुलाई को रत्न भंडार को फिर से खोलने की सिफारिश की है. पारंपरिक पोशाक के साथ हम सबसे पहले मंदिर के अंदर भगवान लोकनाथ की पूजा-अर्चना करेंगे.’ मुदुली ने कहा कि एहतियात के तौर पर पहले अधिकृत कर्मचारी और एक सपेरा रत्न भंडार में प्रवेश करेगा. पुरी के डीएम सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा,‘हम श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम के अनुसार सरकार द्वारा जारी SOP का सख्ती से पालन करेंगे.’
रत्न भंडार को इससे पहले 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था. साल 2018 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने ओडिशा विधानसभा में बताया था कि रत्न भंडार में 12,831 भरी से ज्यादा सोने के जेवर हैं. इनमें कीमती पत्थर लगे हैं. साथ ही 22,153 भरी चांदी के बर्तन और अन्य सामान हैं. आपको बता दें कि एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है. आपको बता दें कि ओडिशा विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार को खोले जाना बड़ा मुद्दा था. भाजपा ने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद इस खजाने को खोला जाएगा.