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ट्रेन में निचली सीट पर बैठे यात्री पर जा गिरी अपर बर्थ, मौत पर रेलवे बोला- ‘नहीं थी कोई गड़बड़ी’

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स्लीपर सीटों में लोगों को अपनी-अपनी बर्थ पर सोने का ऑप्शन दिया जाता है. इसके लिए एक तरफ तीन सीटें होती हैं, जिसमें लोअर, मिडिल और अपर बर्थ शामिल होती है.

नई दिल्ली – भारतीय रेलवे ने बुधवार (26 जून) को ट्रेन में हुई एक मौत के बाद छपी मीडिया रिपोर्ट को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया. रिपोर्ट में कहा गया था कि केरल से नई दिल्ली जा रहे एक व्यक्ति की ट्रेन यात्रा के दौरान उसके ऊपर अपर बर्थ गिरने से मौत हो गई. ये हादसा पिछले हफ्ते हुआ, जब 62 वर्षीय अली खान की ट्रेन में मौत हुई. वह एर्नाकुलम-हजरत निजामुद्दीन मिलेनियम सुपरफास्ट एक्सप्रेस (12645) के स्लीपर कोच में सफर कर रहे थे.

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि अपर बर्थ यानी ऊपरी बर्थ पर एक अन्य यात्री बैठा हुआ था. सफर के दौरान अचानक ही बर्थ अली खान के ऊपर आ गिरी, जो लोअर बर्थ पर आराम कर रहे थे. बर्थ गिरने और यात्री के वजन की वजह से अली खान को काफी चोटें आईं. रेलवे अधिकारियों के जरिए उन्हें तुरंत हैदराबाद के एक अस्पताल में लेकर जाया गया. हालांकि, डॉक्टरों ने उनकी सर्जरी भी की, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

रेलवे ने अपने बयान में क्या कहा?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे के कई दिनों बाद भारतीय रेलवे की तरफ से हादसे पर स्पष्टीकरण दिया गया है. रेलवे का कहना है कि अली खान की मौत खराब बर्थ की वजह से नहीं हुई थी. अधिकारियों के जरिए उस बर्थ की जांच की गई थी. इस दौरान पता चला कि ऊपरी बर्थ पर बैठने वाले यात्री ने उसे ठीक ढंग से चेन के जरिए लॉक नहीं किया था. इसकी वजह से ये हादसा हुआ.

रेल मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक आधिकारिक स्पष्टीकरण में कहा, “संबंधित यात्री सीट नंबर 57 (लोअर बर्थ) एस6 कोच में सफर कर रहा था. ऊपरी बर्थ की चेन ठीक से न लगाने की वजह से ऊपरी बर्थ की सीट नीचे गिर गई. बर्थ की सीट की चेन ठीक नहीं बांधने की वजह से वह यात्री समेत नीचे बैठे शख्स पर गिर गई. रेलवे स्टाफ को रामगुंडम स्टेशन पर शाम 6.34 बजे हादसे की जानकारी मिली. स्टेशन मास्टर ने एंबुलेंस को बुलाया, जिसके बाद यात्री को एंबुलेंस के जरिए करीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया.”