सुदर्शन जी के विचारों से देश-दुनिया को मिल सकती है सही दिशा: डॉ. रमन सिंह
परिवार एक होगा, तो देश एक होगा,आरएसएस के सह सरकार्यवाह – रामदत्त चक्रधर
रायपुर – RSS के पंचम सरसंघचालक सुदर्शन की याद में सुदर्शन प्रेरणा मंच रायपुर के साइंस कॉलेज में श्री सुदर्शन प्रेरणा मंच का कार्यक्रम आयोजित हुआ। आज रविवार को हुए इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंंह,श्री गोपाल जी,डॉ राजेंद्र दुबे सहित अनेक जनप्रतिनिधि और प्रबुद्धजन उपस्थित थे । रायपुर के दीनदयाल उपाध्याय आडिटोरियम में हुए इस कार्यक्रम को भारतीय परिवारिक व्यस्था का नाम दिया गया। श्री सुदर्शन प्रेरणा मंच रायपुर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में श्री रामदत्त जी ने अपने विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज शाम यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघ श्री के.सी. सुदर्शन की जयंती के अवसर पर आयोजित श्री सुदर्शन स्मृति राष्ट्रीय व्याख्यान माला को सम्बोधित किया। उन्होंने मुख्य अतिथि की आसंदी से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री सुदर्शन के विचारों और चिन्तन से आज के वैचारिक उथल-पुथल के दौर में देश और दुनिया को सही दिशा दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि श्री सुदर्शन जी के व्यक्तित्व में सहजता, सरलता और दृढ़ता का अनोखा सम्मिश्रण था।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व सरसंघचालक श्री सुदर्शन जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता का अभियान श्री सुदर्शन जी का जीवन मंत्र था। वे समरसतापूर्ण समाज के स्वप्न दृष्टा थे। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा श्री सुदर्शन जी के अनेक संस्मरण मुझे आज याद आ रहे हैं। उनसे मिलने से सदैव कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती थी। किसी जनप्रतिनिधि से मिलते थे तो शासन द्वारा जनता के हित काम करने की सलाह देते। वे बड़े सहज और सरल व्यक्ति थे, उनसे मिलने में किसी को हिचक नहीं होती थी। एक बार कोई उनसे मिल ले तो उनसे बड़ा प्रभावित हो जाता था। उन्होंने इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की थी इसलिए नई तकनीक, विज्ञान के विषयों पर भी उनका अध्ययन था। कोई ऐसा विषय नहीं था जिस पर उनका गहरा अध्ययन नहीं था। आज दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण को लेकर चिंतित हुई है, 30 साल पहले सुदर्शन जी पानी बचाने, पेड़ लगाने, पर्यावरण बचाने, जैविक खेती की बातें कहते थे। उनका छत्तीसगढ़ की मयारू भूमि से निकट का संबंध रहा है।
रामदत्त जी ने कहा कि सुदर्शन जी का जन्म इसी रायपुर में 18 जून 1931 को हुआ था और यहीं पर 15 सितम्बर 2012 को उनका निधन हुआ। छत्तीसगढ़ उनकी जन्म भूमि और कर्म भूमि थी, इसलिए इस राज्य से उनका विशेष भावनात्मक लगाव था। उनका आशीर्वाद हमेशा छत्तीसगढ़ पर बना रहेगा। रामदत्त जी ने श्री सुदर्शन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हर विषय पर उनका गहन अध्ययन था। इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और अपनी योग्यता से संघ के सर्वोच्च पद पर पहंुचकर राष्ट्रीय स्तर पर इस विशाल संगठन का नेतृत्व किया। डॉ. सिंह ने स्वर्गीय श्री सुदर्शन के साथ जुड़े अपने संस्मरणों को भी साझा किया।