लोकसभा चुनाव के परिणाम लगभग साफ हो गए हैं। रुझानों में भाजपा नीत गठबंधन को उम्मीद से काफी कम सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। हालांकि, गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर चुका है।
लोकसभा चुनाव के लिए मंगलवार को जारी मतगणना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) 293 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ 227 सीटों पर आगे है। इससे पहले सातवें और अंतिम चरण के लिए शनिवार यानी 1 जून को मतदान हुआ। इस चरण में 62.36 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इसी के साथ आम चुनाव के लिए 19 अप्रैल से शुरू हुई मैराथन मतदान प्रक्रिया का समापन हो गया। आम चुनाव के पहले छह चरणों में मतदान क्रमशः 66.14 प्रतिशत, 66.71 प्रतिशत, 65.68 प्रतिशत, 69.16 प्रतिशत, 62.2 प्रतिशत और 63.36 प्रतिशत रहा।
अब बात करते हैं उस फैक्टर की, जो इस बार पूरे चुनाव अभियान के दौरान भाजपा, कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों के एजेंडे में रहा। जी हां, हम बात कर रहे हैं मुस्लिम मतदाताओं और ऐसी सीटों की, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। चुनाव के दौरान मुस्लिम आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर पार्टियों में जुबानी जंग देखने को मिली। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सत्ता में आई तो एससी-एसटी का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को दे दिया जाएगा। वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल दिया जाएगा और एससी-एसटी का आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा।
इन सब दावों के बीच चुनाव परिणाम में जो देखने को मिला, उससे काफी हद तक यह साफ हो गया कि भाजपा का एससी-एसटी का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को देने का आरोप कुछ रास नहीं आया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा को मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों में से 30 फीसदी सीटों पर नुकसान उठाना पड़ा। इसके विपरीत समाजवादी पार्टी को पिछले बार के मुकाबले तीन गुना से ज्यादा सीट का फायदा हुआ। आइए विस्तार से जानते हैं मुस्लिम बहुल सीटों के बारे में…
पहले जानिए पिछले लोकसभा चुनाव का हाल