सदर्न क्रायोनिक्स नाम की एक कंपनी ने अपने पहले ग्राहक के शव को इस उम्मीद में फ्रीज कर दिया है कि भविष्य में उसे दोबारा जिंदा किया जा सकेगा. 80 साल के इस बुजुर्ग शख्स के शव को फ्रीज में कंपनी का कुल खर्च करीब 92 लाख रुपये आया. बीते 12 मई को एक अस्पताल में इस शख्स की मौत हुई थी.
मौत एक अटल सत्य है, जो हर इंसान को आनी ही है. इससे कोई भी बच नहीं सकता. हां, वो बात अलग है कि किसी की 20-30 साल की उम्र में ही मौत हो जाती है तो कोई 100 साल से भी अधिक जीता है. वैज्ञानिकों ने भले ही कितनी भी तरक्की कर ली है, लेकिन आज भी वो मौत के इस रहस्य को समझ नहीं पाए हैं. हालांकि कुछ वैज्ञानिक ये उम्मीद जरूर करते हैं कि मरे हुए इंसान को भविष्य में दोबारा जिंदा जरूर किया जा सकता है. एक क्रायोनिक्स कंपनी ने अपने पहले ग्राहक के शव को इसी उम्मीद में फ्रीज करके रख दिया है कि भविष्य में उसे दोबारा जिंदा किया जा सकेगा.
सदर्न क्रायोनिक्स के फिलिप रोडेस ने घोषणा की है कि कंपनी ने सिडनी के एक व्यक्ति को सफलतापूर्वक क्रायोजेनिक विधि से फ्रीज कर दिया है. इसी महीने की शुरुआत में 80 साल की उम्र में इस शख्स की मौत हो गई थी. फिलिप ने एबीसी न्यूज़ को बताया, ‘यह बहुत तनावपूर्ण था. यही वह बात थी जो मुझे एक हफ्ते तक जगाए रखती थी, क्योंकि अलग-अलग दिन कई अलग-अलग प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है और कई स्थितियां ऐसी थीं जो गलत भी हो सकती थीं अगर हमने ठीक से तैयारी नहीं की होती’.
शव को फ्रीज करने में खर्च हुए 92 लाख रुपये
लैडबाइबल नामक वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिप ने बताया कि ‘उस बुजुर्ग शख्स के परिवार ने अचानक हमारे पास फोन किया. ऐसे में हमारे पास तैयारी करने और सभी व्यवस्थाएं करने के लिए लगभग एक हफ्ते का ही समय था’. बीते 12 मई को सिडनी के एक अस्पताल में उस शख्स की मौत हो गई थी, जिसके बाद कंपनी ने उसके शव को फ्रीज करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दी. फिलिप ने बताया कि इस प्रक्रिया में कुल 88 हजार पाउंड यानी करीब 92 लाख रुपये का खर्चा आया.
इस तरह किया गया शव को फ्रीज
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शव को पहले अस्पताल के कोल्ड रूम में ले जाया गया और बर्फ में पैक किया गया. इसके बाद विशेषज्ञों ने उसकी कोशिकाओं को संरक्षित करने के लिए शरीर के माध्यम से एक तरल पदार्थ पंप किया. फिर शव को सूखी बर्फ में पैक कर दिया गया, जिससे तापमान शून्य से 80 डिग्री सेल्सियस नीचे आ गया. अगले दिन जब उस व्यक्ति का शव सदर्न क्रायोनिक्स के होलब्रुक सुविधा केंद्र में पहुंचा, तो उसका तापमान घटाकर शून्य से 200 डिग्री सेल्सियस नीचे ले जाया गया और फिर उसे एक विशेष टैंक में रखा गया, जो वैक्यूम स्टोरेज पॉड के रूप में काम करता है.
250 साल बाद आ सकती है ऐसी टेक्नोलॉजी
एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पूरी प्रक्रिया में कुल 10 घंटे का समय लगा और ये सब इसलिए किया गया कि भविष्य में इस बुजुर्ग शख्स को फिर से जिंदा किया जा सके. फिलिप का दावा है कि ‘अगले 250 सालों में यह संभव है कि मेडिकल टेक्नोलॉजी आपके दिमाग को वास्तविक दुनिया में स्वस्थ युवा शरीर में परिवर्तित करने के लिए उपलब्ध होगी, अगर आप चाहें तो. ऐसे में आपको अतीत का भी सारा ज्ञान होगा और साथ ही आभासी दुनिया का भी सारा ज्ञान होगा’.