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फलोदी के बाद गरमाया कानपुर का सट्टा बाजार, यूपी की इन लोकसभा सीटों पर खूब चढ़ रहा भाव

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कानपुर – राजस्‍थान के फलोदी सट्टा बाजार के बाद अब कानपुर के सट्टा बाजार में भी लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को बड़े फायदे की बात कही जा रही है। यहां उत्तर प्रदेश की उन लोकसभा सीटों का तेजी से भाव बढ़ रहा है। जहां भाजपा और इंडिया गठबंधन में कड़ी टक्कर मानी जा रही है। इसमें रायबरेली, अमेठी, आजमगढ़, मैनपुरी और कन्नौज लोकसभा सीटें शामिल हैं।
कानपुर के सट्टा बाजार में इनका भाव तेजी से चढ़ रहा है। इससे पहले राजस्‍थान के फलोदी सट्टा बाजार ने बीजेपी को पूरे देश में 300 सीटों के पार पहुंचाया था। दरअसल, राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार ने BJP को पूरे देश में 300 से ज्यादा सीटें मिलने की बात कही थी। जबकि Congress को 70 सीटों के भीतर ही समेट दिया था।
वैसे तो पूरे देश में कई सट्टा बाजार प्रचलित हैं। इसमें राजस्थान का फलोदी सट्टा बाजार प्रमुख है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सबसे पहले मुंबई में सट्टा बाजार यहीं विकसित हुआ था। इसके साथ ही कानपुर में लोकसभा चुनाव के बीच सट्टा बाजार भी गरमा गया है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आने में अभी 15 दिन शेष हैं। हालांकि अभी दो चरणों का मतदान बाकी है। जबकि पांच चरणों का मतदान हो चुका है। इस दौरान चुनाव आयोग की आचार संहिता के चलते चुनाव परिणाम पर शोध करने वाली कंपनियां मौन हैं, लेकिन सट्टा बाजार में चुनावी विश्लेषण जोरों पर है। इसपर लोग भरोसा भी जता रहे हैं।

कानपुर में लोकसभा चुनाव में क्या सट्टा बाजार का गणित

यूपी के कानपुर शहर की पहचान यूं तो मिजाजी और मजूदरों की रही है, लेकिन लाटरी बंद होने के बाद यहां सट्टा बाजार सबसे तेजी से फैला है। लोकसभा चुनाव 2024 में कानपुर के सट्टा बाजार में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 70 से ज्यादा सीटें भाजपा के खाते में जाती दिखाई दे रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा सट्टा रायबरेली, अमेठी, आजमगढ़, मैनपुरी और कन्नौज लोकसभा सीटों पर लगाया जा रहा है।

 राजस्‍थान के फलोदी सट्टा बाजार का जानें गणित

राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार में BJP को पूरे देश में 300 से ज्यादा सीटें मिलने पर सट्टा लगा जा रहा है। जबकि यहां Congress को 70 सीटों से कम पर रहने की बात कही जा रही है। जो 2019 की 52 सीटों की तुलना में कम हैं। फलौदी सट्टा बाजार के मुताबिक शेष सीटें अन्य दलों में बंट रही हैं। बहरहाल, सट्टा बाजार का गणित कितना सही है, ये चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।